कैसे आग बुझाएं? (कविता)
आग हमारे बहुत काम की, कभी न करती कुट्टी,
एक ही दिन हड़ताल करे तो, हो हम सबकी छुट्टी.
हम अपने प्रियजन पर तो हैं, आंच न आने देते,
गुस्सा जो आ जाए तो हम, ”आग बबूला होते”.
खूब वीरता दिखलाने को, कहते ”आग पर चलना”,
”सांच को आंच न आती है”, सुन लो यह भी कहना.
ध्यान अगर हम नहीं रखें तो, आग भयंकर होती,
सारे नियम भूल जाते जब, आग लगी है होती.
आग लगे तो सबसे पहले, दमकल केंद्र को फोन {फोन 101} करो,
आग बुझाने गाड़ी आए, तब तक अन्य उपाय करो.
आग तेल-डीजल वाली, पर कभी न डालें पानी,
इससे आग और भड़केगी, होगी बहुत ही हानि.
खूब रेत डालो तुम इस पर, कंबल ओढ़ लगाओ लोट,
गैस डालकर इसे बुझाओ, कभी न होगी खोट.
लगी आग हो जो बिजली से, शीघ्र कनैक्शन तोड़ो,
लकड़ी से प्राणियों को हटाओ, सी.सी.एल.फोर गैस को छोड़ो.
घास-फूस पर आग लगी हो, या जलती हो रुई,
फव्वारे से पानी छोड़ो, आग हो छुई-मुई.
खूब संभलकर काम करो तुम, जिससे हो न तुम्हें नुकसान,
आग लगी तो समझो भैय्या, बचा न पाओगे तुम जान.