गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

राम राम बोल दिन का आरंभ कीजिए

अवशेष जिंदगी का नित प्रारंभ कीजिए

बहुत रंग झेले और बहुत  भरे हमने

प्रभु नाम की मन से अब जंग कीजिए

लगने लगे धुमिल जब चकाचौंध जग की

तब थोड़ी सी मन की आंखें तंग कीजिए

अंतिम प्रहर निशा का होनी अब सुबह

तजकर खाट अपनी तंद्रा भंग कीजिए

भ्रम की चादर कब तक ताने रहेगा तू

– विश्वम्भर पाण्डेय ‘व्यग्र’

गंगापुर सिटी (राज.)

 

 

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र' कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी,स.मा. (राज.)322201