टूटा पंख
रास्ते में पड़ा हुआ,
किसी पक्षी का एक टूटा पंख,
रेशम से कोमल और मुलायम-
हज़ार तंतुओं को समेटे हुए,
दिल पर एक घाव कर गया
क्या कोई पक्षी आज फिर
किसी बहेलिये का शिकार बन गया,
आकाश में न जाने कितने पक्षी
इस पंख को देख
कांव कांव कर रहे थे —
और तभी सामने,
कन्या पाठशाला की छुट्टी हुई
कन्याएं चहकती हुई निकली
रेशम से कोमल और मासूम चेहरे
दिल में हज़ारों खुशियां और अरमान ,
भगवन इन्हे भी बहेलियों से बचाना
सही सलामत घर तक पंहुचाना,
फिर कभी इस रस्ते पर
कोई टूटा पंख मत दिखाना …..
— जय प्रकाश भाटिया