शिशुगीत – छक्कु हिरना
छक्कु हिरना, गगन सियार में,
था पक्का याराना।
छक्कु टी वी देखा करता,
उसके घर रोजाना।
दिखे मारते छक्का एक दिन,
टीवी में वन राजा।
डर के मारे छक्कुजी का,
बजा अक्ल का बाजा।
उन्हें सामने पड़ी दिखाई,
गेंद नाक पर आते।
डर के मारे छक्कु हिरना,
जान बचाकर भागे।