प्यार
प्यार हवा जैसा ही तो होता है
चाहते हैं जिसे छूना हर पल
प्यार आँसूं की फुहार है
बसता जिसमें सारा संसार है
बह जाना चाहता है हर पल ,
बिना बांध के दरिया जैसा
प्यार दिल की आवाज है
पुकारती है जो अनदेखे सुरूर को
अविरल विरक्त सागर की संवेदना
प्यार है टूटे हुए दिलों की अनकही याचना
सुनसान पगडंडियों पर जब
अंधेरों में साया भी साथ छोड़ देता है
दूर से सिर्फ याद आती है
उम्मीदों की अनकही संवेदना
प्यार सिर्फ प्यार है
न बांध है न ही मंजिल
दिलों से ऊपर सिर्फ पवित्र भावना।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़