ब्लॉग/परिचर्चा

सदाबहार काव्यालय-6

कविता

 

हिंदी: देश का भाग्य

 

हिंदी
हमारी आन
हमारी शान
हमारे देश का ईमान.
हिंदी
हमारी आशा
हर भारतवासी की अभिलाषा
हमारी राष्ट्रभाषा.

 

हिंदी हमारा विश्वास
बहुजन हित की आस
राजभाषा के रूप में
देश का विकास.

 

आओ
मिलकर 
इसको आगे बढ़ाएं
इसकी वैज्ञानिक लिपि का
संबल लेकर
अधिकाधिक कार्य 
हिंदी में करके
इसका भविष्य
उज्ज्वल बनाएं
देश का भाग्य जगाएं.

 

लखमीचंद तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “सदाबहार काव्यालय-6

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन , बहुत अछि कवितायें हैं . हिन्दी भाषा के लिए जागरूपता बहुत जरूरी है .

  • लीला तिवानी

    जो सोचूं हिंदी में सोचूं
    जो बोलूं हिंदी में बोलूं.

    जन्म मिला हैं हिंदी के घर में
    हिन्दी दृश्य अदृश्य दिखाए.
    जैसे माँ अपने बच्चों को
    अग-जग की पहचान कराये.
    ओझल-ओझल भीतर का सच
    जब खोलूं हिंदी में खोलूं.

    निपट मूढ़ था पर हिंदी ने
    मुझसे नये गीत रचवाए.
    जैसे स्वयं शारदा माता
    गूंगे से गायन करवाएं.
    आत्मा के आंसू का अमृत
    जब घोलूं हिंदी में घोलूं.

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