सदाबहार काव्यालय-6
कविता
हिंदी: देश का भाग्य
हिंदी
हमारी आन
हमारी शान
हमारे देश का ईमान.
हिंदी
हमारी आशा
हर भारतवासी की अभिलाषा
हमारी राष्ट्रभाषा.
हिंदी हमारा विश्वास
बहुजन हित की आस
राजभाषा के रूप में
देश का विकास.
आओ
मिलकर
इसको आगे बढ़ाएं
इसकी वैज्ञानिक लिपि का
संबल लेकर
अधिकाधिक कार्य
हिंदी में करके
इसका भविष्य
उज्ज्वल बनाएं
देश का भाग्य जगाएं.
लखमीचंद तिवानी
लीला बहन , बहुत अछि कवितायें हैं . हिन्दी भाषा के लिए जागरूपता बहुत जरूरी है .
जो सोचूं हिंदी में सोचूं
जो बोलूं हिंदी में बोलूं.
जन्म मिला हैं हिंदी के घर में
हिन्दी दृश्य अदृश्य दिखाए.
जैसे माँ अपने बच्चों को
अग-जग की पहचान कराये.
ओझल-ओझल भीतर का सच
जब खोलूं हिंदी में खोलूं.
निपट मूढ़ था पर हिंदी ने
मुझसे नये गीत रचवाए.
जैसे स्वयं शारदा माता
गूंगे से गायन करवाएं.
आत्मा के आंसू का अमृत
जब घोलूं हिंदी में घोलूं.