वो
गीले लिबास सुखाने के बहाने
अब वह छत पर आता नहीं है
क्या हुआ होगा ?क्या बात हुई होगी ?
नाराज तो नहीं है?
बस इन्हीं सवालों में मैं खोया
खुद का ख्याल नहीं रखता मैं !
बस देखता ही तो था! वो भी दूर से !
अब क्या करूं मैं !
सोचता हूं बारिश होगी
और लिबास फिर गिले होंगे और
वह फिर आएगा सुखाने छत पर दोबारा
छोटा सा सफर था ,इश्क का
दफन हो गया जब
देखी शहनाई बजती हुई उसके घर पर