लघुकथा

लघुकथा- बैल

हरिया के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई. साहूकार कर्जे में अनाज के साथ बैल भी ले गया. कमल के स्कूल की फीस जमा करना थी और बेटी की शादी भी. इन सब के लिए जरुरी था कि आगामी फसल अच्छी हो. अभी खेत जुताई बाकी थी. इसके लिए बैल चाहिए थे.
“ साहूकार बैल देने को तैयार है धनिया. मगर उस की एक शर्त है कि छुटके की बहुरियाँ को बैल के बदले साहूकार के यहाँ काम करना पड़ेगा.”
“ यह क्या कहा रहे हैं कमल के बापू ! आप तो जानते है कि साहूकार को. वह चाहता है कि छुटके की बहुरियाँ भी लीला, टीना, झमकू की तरह उस का सबकुछ काम करे,” यह कहते हुए हरिया की पत्नी ने बहुरिया से पूछा, “क्या तू यह सब करना चाहेगी ?”
“ ना जीजी ! हमसे यह सब ना होगा.”
“ तो फिर का करे ? कुदाली से खेत खोदे ?”
“ खेती क्या बैल से होवे हैं ? वो साहूकार अपनी कुइच्छा का हल अपने बैल पर ही चला ले. हम स्वयम ही बैल बन जाएंगे जीजी,” कहते हुए बहुरिया ने स्वाभिमान का जुड़ा अपने कन्धों पर उठा लिया.
— ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

*ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

नाम- ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जन्म- 26 जनवरी’ 1965 पेशा- सहायक शिक्षक शौक- अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन लेखनविधा- मुख्यतः लेख, बालकहानी एवं कविता के साथ-साथ लघुकथाएं. शिक्षा-बीए ( तीन बार), एमए (हिन्दी, अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र, इतिहास) पत्रकारिता, लेखरचना, कहानीकला, कंप्युटर आदि में डिप्लोमा. समावेशित शिक्षा पाठ्यक्रम में 74 प्रतिशत अंक के साथ अपने बैच में प्रथम. रचना प्रकाशन- सरिता, मुक्ता, चंपक, नंदन, बालभारती, गृहशोभा, मेरी सहेली, गृहलक्ष्मी, जाह्नवी, नईदुनिया, राजस्थान पत्रिका, चैथासंसार, शुभतारिका सहित अनेक पत्रपत्रिकाआंे में रचनाएं प्रकाशित. विशेष लेखन- चंपक में बालकहानी व सरससलिस सहित अन्य पत्रिकाओं में सेक्स लेख. प्रकाशन- लेखकोपयोगी सूत्र एवं 100 पत्रपत्रिकाओं का द्वितीय संस्करण प्रकाशनाधीन, लघुत्तम संग्रह, दादाजी औ’ दादाजी, प्रकाशन का सुगम मार्गः फीचर सेवा आदि का लेखन. पुरस्कार- साहित्यिक मधुशाला द्वारा हाइकु, हाइगा व बालकविता में प्रथम (प्रमाणपत्र प्राप्त). मराठी में अनुदित और प्रकाशित पुस्तकें-१- कुंए को बुखार २-आसमानी आफत ३-कांव-कांव का भूत ४- कौन सा रंग अच्छा है ? संपर्क- पोस्ट आॅफिॅस के पास, रतनगढ़, जिला-नीमच (मप्र) संपर्कसूत्र- 09424079675 ई-मेल [email protected]