कविता

औरत तेरी यही कहानी

औरत तेरी यही कहानी, हाथों में पैन                     आंखों में पानी ,
किससे कहे अपना दुःख, किसको सुनाए                अपनी कहानी ।

सदियों से जो चलती आई, रीत तुझे भी                  वही निभानी ,
दर्द तेरा कोई समझ न पाया, न किसी ने               कीमत ही जानी ।

चलते चलते थक गए कदम, फिर भी दर्द            से अपने रही अनजानी ।
जिसने भी अपने दिल की मानी, दे दिया           समाज ने नाम मस्तानी ।

सब घर बेटी सब घर ज्ञानी, फिर भी रही                पहचान पुरानी ,
बेटी है तू इस घर की, तू है “सिर्फ और                 सिर्फ” अमानत हमारी ।

किसी की मम्मी किसी की बहना, किसी           की भाभी किसी की नानी ,
हाथों में बेलन करछी पुरानी, कैसे लिख            सकती है वो अपनी जिंदगानी ।

बिरासत में मिली सदियों से सिर्फ उसे                 एक ही कहानी ,
जिस घर जाना वहीं पर रहना ,चाहे बीत         जाए रो रोकर तेरी उम्र सारी ।

वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

*वर्षा वार्ष्णेय

पति का नाम –श्री गणेश कुमार वार्ष्णेय शिक्षा –ग्रेजुएशन {साहित्यिक अंग्रेजी ,सामान्य अंग्रेजी ,अर्थशास्त्र ,मनोविज्ञान } पता –संगम बिहार कॉलोनी ,गली न .3 नगला तिकोना रोड अलीगढ़{उत्तर प्रदेश} फ़ोन न .. 8868881051, 8439939877 अन्य – समाचार पत्र और किताबों में सामाजिक कुरीतियों और ज्वलंत विषयों पर काव्य सृजन और लेख , पूर्व में अध्यापन कार्य, वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन यही है जिंदगी, कविता संग्रह की लेखिका नारी गौरव सम्मान से सम्मानित पुष्पगंधा काव्य संकलन के लिए रचनाकार के लिए सम्मानित {भारत की प्रतिभाशाली हिंदी कवयित्रियाँ }साझा संकलन पुष्पगंधा काव्य संकलन साझा संकलन संदल सुगंध साझा संकलन Pride of women award -2017 Indian trailblezer women Award 2017