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साहित्यकार का समाज के प्रति दायित्व

समाज से साहित्य,साहित्य से साहित्यकार,साहित्यकार से समाज एक दूसरे से ऐसे जुड़े हुए हैं जैसे कौई तीन पहिये वाली गाड़ी हो जो एक दूसरे के बिना एक पग भी नहीं चल सकते। जिस प्रकार से साहित्य समाज का दर्पण होता है उसी प्रकार से साहित्यकार लोकतंत्र का स्वतंत्रता की दृष्टि से एक अहम हिस्सा है। बहुत पहले से ही अपनी लेखनी से साहित्यकार समाज के हर हिस्से पर नीति-नियमानुसार ईमानदारी पूर्वक निभाते आ रहे हैं। समाज के अन्दर की गहराई से लेकर बाहरी आवरण तक का लेखा- जोखा अपनी शब्दावलियों से अपना विचार समाजिक वातावरण में घोलते है जिसके परिप्रेक्ष्य में रहने वाले लोगो को अग्रसर बढते रहने की सीख मिलती हैं।
स्वतंत्रता के पहले भी देखा जाय तो हमारे देश के साहित्यकार अपनी लेखनी से भारत को आजाद कराने में कोई कसर नहीं छोड़ रखा है। इसी प्रकार स्वतंत्रता के बाद भी उन्नत समाज बनाने हेतु साहित्यकारों का अमूल्य योगदान है। जहां तक मेरा मंतव्य है प्रचीन काल से लेकर अब तक समाज को आइना दिखाने का कार्य साहित्यकारों को जाता है। पुरी ईमानदारी एवं कर्मठता से समाज में घटित घटनाओं पर नजर रखते हुए लोगों के समक्ष लेखनी के जरिए रखना प्रमुख दायित्व है। जिनके लेखनी से एक विशाल वर्गहीन,स्वार्थहीन कर्तव्यनिष्ठ,शोषण मुक्त,मानवजाति युक्त,सत्यवादी समाज का निर्माण हो। समाजिक नागरिकों के प्रति अच्छा विचार रखना एवं इनके उत्तरदायित्व की भावनाओं को उजागर करना भी साहित्यकार का कर्तव्य है।
साहित्य का सृजन परिस्थितियों के अनुसार होता है इन्हीं परिस्थितियों के प्रभाव से साहित्यकार प्रभावित होकर अपनी भावनाओं का उद्गार लेखनी में समाहित कर सही दिशा प्रदान करने में भी योगदान करता है। जहा तक मेरा मानना है कि साहित्य से समाज में परिवर्तन लाया जा सकता है एवं समाज से साहित्य परिवर्तित होती है। इन दोनों स्थितियों में एक साहित्यकार की अहम भूमिका होती है।
बहुत सी ऐसी समस्याएं हैं जैसे – आतंकवाद,उग्रवाद,भूखमरी,गरीबी,भ्रष्टाचार,भ्रूण-हत्या,प्रदूषण और ऐसी तमाम समस्याओं की ओर साहित्यकारों ने अपनी लेखनी से लोगों का ध्यानाकृष्ट कर सुधार करने की अनवरतता आज भी दिखाई देती है जिसका परिणाम सभ्य समाज का निर्माण होने में काफी मदद मिलती है। समाजिक तौर पे कोई परिवर्तन होता है सही या गलत तो साहित्य उसे अपने अन्दर समेट लेता है और साहित्यकार इस गलत या सही का ज्ञान जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करता है जो समाज के लिए अनमोल है। यही नहीं बल्कि देश के संम्विधान की ओर देश के नागरिकों को मताधिकार से लेकर अधिकार तक की जानकारी देता है। यह सच है कि साहित्यकार जनजागरुकता फैलाने में भी उत्तरदायी हैं।
निष्कर्ष में कह सकते हैं कि उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट होता है कि हमारे समाज के प्रति साहित्यकारों का अमूल्य योगदान होगा तब,जब वह अपनी लेखनी में ईमानदारी,कर्तव्यनिष्ठा का पालन करेगें। आशा करता हूँ भविष्य में साहित्यकारों ने एक अच्छे विचारवान,अपंग मुक्त,परोपकारी,व्यभिचार से मुक्त,भ्रष्टाचार मुक्त, शोषण मुक्त,वर्ग विहीन आदि ऐसे समाज का निर्माण करने में सदियों से लगे हुए हैं और आगे भी लगे रहेंगे।
© रमेश कुमार सिंह ‘रुद्र’ (माध्यमिक शिक्षक हाईस्कूल बिहार सरकार

रमेश कुमार सिंह 'रुद्र'

जीवन वृत्त-: रमेश कुमार सिंह "रुद्र"  ✏पिता- श्री ज्ञानी सिंह, माता - श्रीमती सुघरा देवी।     पत्नि- पूनम देवी, पुत्र-पलक यादव एवं ईशान सिंह ✏वंश- यदुवंशी ✏जन्मतिथि- फरवरी 1985 ✏मुख्य पेशा - माध्यमिक शिक्षक ( हाईस्कूल बिहार सरकार वर्तमान में कार्यरत सर्वोदय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरैया चेनारी सासाराम रोहतास-821108) ✏शिक्षा- एम. ए. अर्थशास्त्र एवं हिन्दी, बी. एड. ✏ साहित्य सेवा- साहित्य लेखन के लिए प्रेरित करना।      सह सम्पादक "साहित्य धरोहर" अवध मगध साहित्य मंच (हिन्दी) राष्ट्रीय सचिव - राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन मध्यप्रदेश,      प्रदेश प्रभारी(बिहार) - साहित्य सरोज पत्रिका एवं भारत भर के विभिन्न पत्रिकाओं, साहित्यक संस्थाओं में सदस्यता प्राप्त। प्रधानमंत्री - बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन इकाई सासाराम रोहतास ✏समाज सेवा - अध्यक्ष, शिक्षक न्याय मोर्चा संघ इकाई प्रखंड चेनारी जिला रोहतास सासाराम बिहार ✏गृहपता- ग्राम-कान्हपुर,पोस्ट- कर्मनाशा, थाना -दुर्गावती,जनपद-कैमूर पिन कोड-821105 ✏राज्य- बिहार ✏मोबाइल - 9572289410 /9955999098 ✏ मेल आई- [email protected]                  [email protected] ✏लेखन मुख्य विधा- छन्दमुक्त एवं छन्दमय काव्य,नई कविता, हाइकु, गद्य लेखन। ✏प्रकाशित रचनाएँ- देशभर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में एवं  साझा संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित। लगभग 600 रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं तथा 50 साझा संग्रहों एवं तमाम साहित्यिक वेब पर रचनाये प्रकाशित। ✏साहित्य में पहला कदम- वैसे 2002 से ही, पूर्णरूप से दिसम्बर 2014 से। ✏ प्राप्त सम्मान विवरण -: भारत के विभिन्न साहित्यिक / सामाजिक संस्थाओं से  125 सम्मान/पुरस्कार प्राप्त। ✏ रूचि -- पढाने केसाथ- साथ लेखन क्षेत्र में भी है।जो बातें मेरे हृदय से गुजर कर मानसिक पटल से होते हुए पन्नों पर आकर ठहर जाती है। बस यही है मेरी लेखनी।कविता,कहानी,हिन्दी गद्य लेखन इत्यादि। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आदरणीय मित्र मेरे अन्य वेबसाईट एवं लिंक--- www.rameshpoonam.wordpress.com http://yadgarpal.blogspot.in http://akankshaye.blogspot.in http://gadypadysangam.blogspot.in http://shabdanagari.in/Website/nawaunkur/Index https://jayvijay.co/author/rameshkumarsing ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आपका सुझाव ,सलाह मेरे लिए प्रेरणा के स्रोत है ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~