राजनीतिलेख

आम चुनाव से पूर्व राहुल-मोदी का प्रभावी दस्तक

लाखों संभावनाओं और सैंकड़ों कुटिल चालों के बावजूद एक बार फिर से देश में मोदी लहर की दस्तक सुनाई दे गई है। विपक्ष द्वारा किये गए सारे प्रयासों को दरकिनार कर भाजपा गुजरात और हिमाचल प्रदेश का चुनाव जीतने में सफल रही है। और अब दोनों राज्यों के चुनाव परिणामों ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया है कि देश में मोदी की तीव्र लहर चल रही है। वैसे अब तक विपक्ष इस लहर की काट नहीं ढूंढ पाई है। विपक्ष हर मोर्चे पर मोदी से हार रही है और मोदी हर बार पहले की तुलना में और अधिक सशक्त और ताकतवर हो रहें हैं। और मोदी की लोकप्रियता दिन प्रति दिन बढ़ रही है,जो उनके चाहनेवालों के लिए एक अच्छी खबर है तो वहीं उनके विरोधियों के लिए एक भयानक सच।

2014 के आम चुनावों से राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण करने वाले मोदी 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से ही लगातार राष्ट्रीय स्तर पर एक के बाद एक धमाल मचा रहें हैं। उन्होंने लंबे समय से केन्द्र की सत्ता से बाहर बैठी पार्टी को सत्ता सुख दिलाने से लेकर अपनी मेहनत,लगन और राजनैतिक दांवपेचों के दम पर देश के अलग अलग राज्यों में भी कमल खिलाने का चमात्कार कर दिखाया है जिसमें पूर्वोत्तर के राज्य भी शामिल हैं। और अब गुजरात तथा हिमाचल की जीत भी उनकी इसी सफलता की एक कड़ी है।

नोटबंदी और जीएसटी जैसे दो बड़े आर्थिक सुधारों के बावजूद भाजपा को मिली यह जीत मोदी को भारतीय राजनीति के सबसे सफल और लोकप्रिय नेता के रूप में प्रतिष्ठा दिलाने के लिए काफी है। और फिर गुजरात में एकाएक हुए नेतृत्व परिवर्तन तथा आरक्षण के लिए मचे हंगामें के बीच मिली यह जीत फिर से मोदी मैजिक की ओर ही इशारा कर रही है, जो 2019 के आम चुनाव की तैयारी में जुटी पार्टियों के लिए एक गंभीर चेतावनी है।

वैसे भी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ओईसीडी अर्थात ऑर्गनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक को-ऑपरेशनं डेवलपमेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार जनता की सबसे भरोसेमंद सरकारों की लिस्ट में नरेन्द्र मोदी की नेतृत्ववाली भारत सरकार सबसे शीर्ष पर है। इस रिपोर्ट की मानें तो देश के लगभग 73 प्रतिसत लोग मोदी के नेतृत्व के पक्ष में हैं और उन्हें अपनी सरकार पर पूरा भरोसा है। दरासल ओईसीडी दुनिया के देशों में आर्थिक सहयोग और विकास के लिए काम करने वाली एक संस्था है। इसी संस्था की बनाई रिपोर्ट के अनुसार भारत उन देशों की कतार में शीर्ष पर है जहां के लोग अपनी सरकार पर भरोसा करते हैं। पिछली सरकार से नाराज और परेशान कुछ लोगों के लिए ये रिपोर्ट आश्चर्य का कारण हो सकती है। पर सच्चाई यही है। मशहूर फोर्ब्स पत्रिका में छपी ओईसीडी के रिपोर्ट के अनुसार 15 देशों की इस सूची में जहां आर्थिक संकट झेल रहा ग्रीस सबसे नीचे आखरी पायदान पर है और अमेरिका भी महज 30 फीसदी लोगों के भरोसे के साथ काफी नीचले पायदान पर खड़ी है पर वहीं भारत की नरेन्द्र मोदी सरकार 73 प्रतिसत लोगों के विश्वास के साथ दुनिया की सबसे विश्वासपात्र सरकार के रूप मे झंडा लहरा रही है। और यह सब संभव हुआ है तो बस नरेन्द्र मोदी के चमात्कारी व्यक्तित्व और राष्ट्र के प्रति निष्ठा और समर्पण के कारण।

ऐसे में गौरक्षा,हिंदुत्व जैसे मुद्दों को लेकर अकारण ही मोदी पर हमलावर रहे विपक्ष तथा कथित बुद्धिजीवियों के लिए यह जनसमर्थन काफी निराश करने वाला है। और खासकर 2019के आम चुनाव की तैयारी में जुटी पार्टियों के लिए तो मोदी की यह सफलता किसी झटके से कम नहीं है,जो उनके कार्यकर्ताओं के मनोबल को डावाडोल कर रही है और मोदी को एक अजेय योद्धा के रूप में स्थापित कर रही है।
तभी दल-बदल और टूटते-बनते नए गठबंधन के बदौलत वे हर बार और अधिक ताकतवर हो रहें हैं। और संभवतः यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुला ने भी अब उन्हें अगले 2024 तक के लिए देश का प्रधानमंत्री स्वीकार कर लिया है। जबकि कभी विपक्ष के सबसे भरोसेमंद और सशक्त नेता रहे नीतीश कुमार ने भी पीछले दिनों विपक्ष का दामन छोड़कर मोदी की अधीनता स्वीकार ली है। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने बिना किसी ऊहापोह के ये भी स्वीकार कर लिया कि नरेन्द्र मोदी ही इस देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं और उनसे मुकाबले की क्षमता अभी इस देश के किसी नेता में नहीं है। और इन बातों से ही नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस कदर वे देशवासियों के समर्थन के साथ देश के सबसे प्रभावशाली नेता के रूप में सशक्त हो रहें हैं। और अब इस बात की पुष्टि अमरीकी थिंक टैंक पियु ( PEW ) रिसर्च सेंटर की एक सर्वे ने भी कर दी है। पियु के अनुसार भारत में किये गए उसके सर्वे में शामिल हुए लगभग 88 प्रतिशत लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी को ही देश का सबसे लोकप्रिय नेता माना है। अब अगर इस सर्वे की मानें तो मोदी की लोकप्रियता देश के दक्षिण प्रांत में सबसे अधिक बढ़ी है। दक्षिण भारत के लगभग 95 प्रतिशत लोग पीएम मोदी को अब देश का सबसे सफल और सक्षम नेता मानने लगे हैं। ऐसे में यह स्वभाविक रूप से प्रमाणित हो चला है कि मोदी के व्यक्तित्व और कर्तव्यपरायणता का असर देश भर में हो रहा है। और वे भारतीय राजनीति के सबसे प्रभावशाली नेता के तौर पे पहचान बनाने में सफल रहे हैं। बल्कि कहें तो अब उनकी लोकप्रियता अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी काफी अधिक बढ़ रही है और वे एक विश्व नेता के रूप में उभर रहें हैं। जोकि एक भारतीय रूप में हम सब के लिए अत्यंत ही गर्व का क्षण है।

अपने सशक्त नेतृत्व और बेमिसाल व्यक्तित्व के बल पर जहां नरेन्द्र मोदी बुलंदियों को छू रहें हैं वहीं अपने सर्वाधिक बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस पार्टी के नव निर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी भी अब अपना जलवा बिखेरना आरंभ चुके हैं। और इसकी एक झलक गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान दिखी,इसबार उनमें खासा परिवर्तन देखा गया। वे बिल्कुल नए आवतार में थे। चुनाव प्रचार के वक्त वे पहले के मुकाबले अधिक आत्मविश्वास से परिपूर्ण और सक्रिय नजर आये। गुजरात में उन्होंने चुनावी मंचों के साथ साथ सोशल मीडिया के जरिये भी भाजपा और मोदी पर प्रहार किये। राहुल लगातार किसी परिपक्व राजनेता की तरह राज्य और केन्द्र सरकार पर निशाना साध रहें थे। फलस्वरूप 22 साल से गुजरात में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही पार्टी 80 सीटों के साथ वापसी करने में सफल रही। भले ही किन्हीं कारणों से कांग्रेस को सत्ता सुख भोगने का मौका न मिला हो पर इसके बावजूद पार्टी पहले के मुकाबले और अधिक सशक्त हुई तथा 22 सालों से राज्य की सत्ता पर काबिज पार्टी को 99 सीटों पर समेट कर आत्ममंथन के लिए मजबूर कर दिया।

राहुल ने हर मोर्चे पर भाजपा को कड़ी टक्कर दी। उन्होंने विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की बात दोहरा रहे प्रधानमंत्री से 13 सवाल पूछे। उनके सवालों का सितम यह रहा कि भाजपा ने स्वयं ही विकास के मुद्दा को दरकिनार कर राहुल गांधी के धर्म का आश्रा ले लिया। राहुल के हमलों से परेशान भाजपा के विकास का हवाई महल खुद ही भरभराने लगा। और मुद्दे बदल गए। राहुल की सक्रियता पर गौर किया जाए तो सहज ही पता चलता है कि वे अब पहले के मुकाबले अधिक परिपक्व हो रहें हैं। मोदी की बढ़ती लोकप्रियता राहुल को भी राजनीति के अखाड़े का दावपेंच सीखने को मजबूर कर रही है और यही वजह है कि वे धीरे धीरे आत्ममंथन के जरिये सुधार की दिशा में अग्रसर हैं। वे अब देश की सबसे पुरानी पार्टी के युवा अध्यक्ष के रूप में अपनी चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार हो रहें हैं। उनके रगों में खून के साथ ही राजनीति का लावा भी बहता है इसे प्रमाणित करने के लिए वे लगातार अग्रसर हो रहें हैं। और इसीका नतीजा है कि उनकी पार्टी गुजरात,पंजाब और बिहार जैसे राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रही है। जबकि अब से पूर्व इन राज्यों में पार्टी की हालत काफी दयनीय थी।

इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने 2009 के आम चुनाव में मोदी मैजिक से बड़ा मैजिक कर दिखाया था और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी पार्टी को 206 सीटें दिलाईं थी। जिसका पूरा श्रेय कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी को ही दिया। और पार्टी के कई बड़े नेताओं ने उन्हें प्रधानमंत्री बनने का अनुरोध किया पर राहुल ने संगठन में रहने की बात कहकर उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया। राहुल की अगुवाई में विधानसभा चुनाव में प्रतिद्वन्दिता कर कांग्रेस 5 राज्यों में सरकार बनाने में सफल रही। मिजोरम, मेघालय, पुड्डुचेरी, पंजाब और कर्नाटक में कांग्रेस को जीत मिली। बिहार और अरुणाचल प्रदेश में भी गठबंधन सरकार बनाई। हालांकि, बाद में लोकतंत्र पर प्रहार करते हुए इन राज्यों में सरकार बदल दी गई।

2014 लोकसभा चुनाव के बाद से राहुल कांग्रेस की हिंदू विरोधी छवि को भी बदलने की कोशिश में जुटे हुए हैं। वे कांग्रेस के माथे पर लगे मुस्लिम तुष्टिकरण के लेबल को हटाने का लगातार प्रयास कर रहें हैं। और इसकी शुरुआत उन्होंने 2014 में उत्तराखंड से की थी, जब वह केदारनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे थे। इसके बाद से वह जिस राज्य में भी चुनावी रैली लिए गए हैं, वहां उन्होंने मंदिरों में पूजा जरूर की है। जिसका उदाहरण गुजरात चुनाव में भी देखने को मिला जहां राहुल 23 बार मंदिर दर्शन के लिए गए। वे अब खुद को शिवभक्त, जनेऊधारी ब्राह्मण बताने लगे हैं।

राहुल ने देश में राजनीति का स्तर भी बदला है।उन्होंने किसानों के साथ कभी फावड़ा चलाकर तो कभी दलित के घर जाकर रोटी खाकर समानता का संदेश दिया है। और आज स्थिती ऐसी है कि अन्य पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को भी मजबूरन दलितों के घर जाकर खाना खाना पड़ रहा है। उन्हें गले लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है। राहुल गांधी अपने एंग्री-यंग मैन वाले नैचर के लिए भी विख्यात हैं। 2013 में उन्होंने मंत्री अजय माकन के प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाकर दागी नेताओं से जुड़ा अध्यादेश को बकवास बताते हुए फाड़कर हवा में लहरा दिया था।

अपने सहज सरल व्यक्तित्व के लिए जाने वाले राहुल का परिपक्व रूप उनके विरोधियों के लिए खतरे की घंटी है,जिसका ट्रैलर गुजरात चुनाव में सभी ने देख लिया है। और संभव है कि 2019 के आम चुनाव में वे अपने विरोधियों को नाकों चने चबाने को मजबूर कर देंगे। ऐसे में अब आमचुनाव में चाहे जो भी परिणाम हो पर दोनों ही पार्टयों में घमासान की उम्मीद बढ़ गई, है क्योंकि अब दोनों ही पार्टियों के पास योग्य और सक्षम नेता हैं। जो लगातार अपने नेतृत्व से सभी को विस्मित कर रहें हैं।

मुकेश सिंह

मुकेश सिंह

परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैl शिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl

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