मुक्तक/दोहा मुक्तक – सिक्के डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 27/12/2017 हर दौर के सिक्के, सँभालकर रखता हूँ, हो इतिहास की पडताल, ख्याल रखता हूँ। बुजूर्गों ने बीते दौर का, इतिहास जिया है, उनके विचारों से संस्कार, खँगालकर रखता हूँ। — अ कीर्तिवर्धन