लघुकथा

अनुपम उपहार

अलग परिवार और भिन्न पृष्ठभूमि में पले होनोलुलु के मैक्फारलेन और रॉबिन्सन की शक्ल-सूरत और रुचियां इतनी मिलती-जुलती थीं, कि उनके फ्रेंड्स यह कहकर चिढ़ाते थे कि दोनों एक ही लड़की से शादी करेंगे. दोनों दोस्तों की उम्र में दो साल का अंतर था.
उनकी पहली मुलाकात 60 साल पहले पुनाहु स्कूल में छठी क्लास में पढ़ने के दौरान हुई. यह मुलाकात शीघ्र ही दोस्ती में बदल गई. एक ही स्कूल में पढ़े. एक ही टीम में खेले और कई बार नोकझोंक भी हुई. बड़े होने पर रॉबिन्सन अलोहा एयरलाइन्स में पायलट बने. इसके बाद भी दोनों फिशिंग करने और खेलने के लिए एक-दूसरे से मिलते रहे. यहां तक कि दोनों की फैमिली भी एक-दूसरे के काफी करीब रही. दोनों के पास अच्छी जॉब और फैमिली थी, पर दोनों अपने असली माता-पिता के बारे में नहीं जानने की वजह से परेशान रहते थे. कई बार ढ़ूंढने की भी कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली.
2017 का क्रिसमस उनके लिए एक अनोखा उपहार लाया. दोनों ने एक ही वेबसाइट पर DNA टेस्ट करवाया तो जाकर सच्चाई का पता चला कि दोनों सगे भाई हैं.
असल में 7 दिसंबर, 1941 को हुए ‘पर्ल हार्बर अटैक’ की चपेट में होनोलुलु शहर भी शामिल था. अटैक के बाद यहां के लोग आजीविका के लिए लगातार संघर्ष कर रहे थे. इसलिए बड़े भाई मैक्फारलेन के जन्म के समय ही उनकी मॉम जिनेवीव ने बर्थ के समय ही बच्चे को गोद देने का फैसला किया, यह बात जानकर मैक्फारलेन के सगे नाना-नानी ने ही उसे गोद ले लिया. अब 15 महीने बाद उसी शहर में जिनेवीव ने दूसरे बेटे यानी रॉबिन्सन को जन्म के समय ही गोद दे दिया. कागज़ी कार्रवाई पूरी न होने के कारण इतना कंफ्यूजन रहा.
शुक्र है क्रिसमस के दिन सैंटा क्लॉज़ ने दोनों को इतना अनुपम उपहार दे दिया. सगे भाइयों की तरह रह रहे मैक्फारलेन और रॉबिन्सन अब नववर्ष 2018 की खुशियां सगे भाइयों के रूप में मना सकते हैं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “अनुपम उपहार

  • राजकुमार कांदु

    आदरणीय बहनजी ! कुदरत का रहस्य कोई नहीं जान पाया है । ऐसे अजीब किस्से घटित होते रहते हैं । फिल्मकार मनमोहन देसाई की फिल्मों की कहानी इसी खोया पाया के सिद्धांत पर ही आधारित होती थीं । DNA टेस्ट के बाद आखिर उन्हें यकीन हो गया कि वे सगे भाई हैं । अब उनकी मित्रता खून के रिश्ते में बदल गयी थी । सुंदर सत्य कथा पाठकों के समक्ष लाने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद !

  • लीला तिवानी

    अनुपम उपहार (लघुकथा)नववर्ष 2018 के लिए ऐसा अनुपम उपहार मैक्फारलेन और रॉबिन्सन को बहुत-बहुत मुबारक हो. उनकी साथ सभी पाठकों के लिए नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.

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