गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

अजीब नशा मुझी पर मुख्तसर गया
देखा कहीं अजीब शक्ल रात डर गया
हर ले नक़्श तमन्ना का हो गया लगा
धुंधला सा था ज़ख्म मेरे दिल का भर गया
जीवन बना दूभर जो पाया असर नया
मैं महकशीं से अपने ही साये से मर गया
ये सोच जब सफर फाके ही कटा गया
जब शजर ने पुकारा तो बस ठहर गया
वो गुज़र सा ज़माना वो ज़ख़्म भर गया
जो सफ़र भी तमाम हुआ नगर गया
हमारी राह में साया कहीं नहीं था मगर
किसी शजर ने पुकारा तो गम ठहर भी गया
ज़िन्दगी से मेरी तू इस तरह चला गया
मैं बेख़ुदी में अपने ही साये से डर गया

— रेखा मोहन २७/१२/२०१७

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]