लघुकथा

लघुकथा – अजीब दास्तान

निशा की सहेली मीनू को कुछ समय बाद मिलना हुआ ,उसे देख होश उड़ गए| निशा ने उसकी उदास सूरत बिखरी पर्सनाल्टी का कारण पूछा”,पहले तो बातों में टालती रही फिर रोने लगी बोली”,मेंटल डिसोर्डर’ हो गया है |” निशा हैरान हो गई ,कैसे ? मीनू बेतहाशा रोती बोली ,”बड़े बेटे ने खुद ही बिदेशी मेम से शादी कर ली है | दूसरा गुडगाब से नौकरी छोड आया| पति डाक्टर साहिब, नर्स के साथ मौज-मेले में है| .मेरा तो सब-कुछ खत्म हो गया है |” मीनू आपे से बाहर हो सिसकने लगी |

निशा ने उसे सम्भाला और समझाया, ‘ घर से बाहर निकलो दुनिया में घुमो उनके हिसाब से खुद को बनाओ|मीनू रोने से कुछ नहीं होना है|” निशा को लगा मीनू हिम्मत हार चुकी है| पति की रिटायर्मेंट के बाद क्लिनिक में सारा पैसा लगवा गलती कर ली. यही बोलती माथे पर हाथ मार रही थी| यही शब्द ,”अब उसकी तो किसी को परवाह नहीं है| अब वो जिंदा नही रह सकती|”

निशा सोच में,” जिन्दगी की क्या अजीब दास्तान है| साठ साल की उम्र में भी ओरत असहाय हो सकती है |”

रेखा मोहन ३० /१२ /२०१७

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]