पापा कब आएंगे !
पुनित बहुत उदास था तो मनीषा ने फोन पर पुनित की बात सुदेश से कराई। अपने पापा से बात करके पुनित बहुत खुश हो गया कि इस बार दीवाली पर पापा घर आ रहे हैं। वो पापा के आने की खुशी में दिनभर मस्त रहा ,पापा इतनी देर बाद जो आ रहे थे! पुनित ममी के साथ बाजार जाकर ढेर सारे पटाखे ले आया, कल दीवाली थी और पापा ने कल शाम को पहुंचना था। घर में खुशी का माहोल था, दीवाली का दिन आ गया पुनित बेसब्री से पापा का इंतज़ार कर रहा था।
शाम होने को आई अभी सुदेश नहीं आए थे मनीषा पूजा की तैयारी कर रही थी। पुनित के सभी दोस्त पटाखे चला रहे थे वो बार बार पूछ रहा था कि पापा आए नहीं ममी ,पापा कब आएंगे। फिर वो मनीषा से पटाखें चलाने की जिद्द करने लगा। मनीषा पुनित के साथ चली गई और पुनित पटाखें चलाने लगा पटाखें चलाते हुए पुनित बहुत खुश हो रहा था। मनीषा को अब सुदेश की फिक्र होने लगी थी अब तक तो उसे आ जाना चाहिए था। मनीषा मन घबरा रहा था वो फोन करने के लिए कमरे में गई, उसने फोन उठाया तो देखा फोन में तीन चार मिसड काॅल थी। काॅल बैक किया तो सुदेश के दोस्त का था, कहने लगा भाभी कब से फोन कर रहा था कैसे कहुं भाभी, एक बुरी खबर है सुदेश लेट निकला था उसने कल पहुंचना था पुनित उदास न हो इसलिए कहा कि शाम को आऊंगा। सुदेश ने कल सुबह पहुंचना था वो अपने तीन साथियों के साथ आज जिस बस में निकला था उस पर आंतकी हमला हो गया सुदेश ने अपने साथियों के साथ बड़ी वहादुरी से मुकाबला किया उसे दो गोलियाँ लगी और उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया अभी थोड़ी देर पहले ही खबर मिली। मनीषा के पैरो से जमीन खिसक गई, उसे समझ नहीं आ रहा था वो रोए या अपने दस साल के बेटे को ये समझाए कि जब तुम पटाखें चला रहे थे तो उसके बहादुर पापा गोलियाँ झेल रहे थे। वो अपने पापा का इंतज़ार कर रहा है उसे कैसे कहुं कि अब वो कभी नहीं आएंगे ।