गीतिका/ग़ज़ल

किसी को ढूँढती दयार में रहीं आँखें

किसी को ढूँढती दयार में रहीं आँखें
तमाम उम्र इंतज़ार में रहीं आँखें

बहा किसी की आँख से उदासियों का खूं
किसी की रात दिन ख़ुमार में रहीं आँखें

तलाशते तलाशते जिन्हें उमर गुज़री
पता चला किसी के प्यार में रहीं आँखें

हमें खिजा मिली तलाश में फ़जाओं की
किसी की उम्र भर बहार में रही आँखें

पता नही था प्यार में फरेब भी होगा
मिलेगा प्यार ऐतबार में रही आँखें

हमें गुलाब ही गुलाब की तमन्ना थी
उलझ किसी की सिर्फ ख़ार में रही आँखें

चमक रही हैं आसमान की बुलंदी पर
सदा जो सरहदों के प्यार में रही आँखें

सतीश बंसल
०४.०१.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.