चेतना दीजिये सादगी दीजिये, भावना दीजिये बंदगी दीजिये
चेतना दीजिये सादगी दीजिये, भावना दीजिये बंदगी दीजिये
इस हृदय से तमस को मिटाकर हमें, हे प्रभो ज्ञान की रोशनी दीजिये।।
सर्वकल्याण की भावना मन रहे, सर्व जग हो सुखी कामना मन रहे
हम खुशी में सभी की मनाएं खुशी, दर्द में भी मगर वेदना मन रहे
जो जगत के लिये हो सही हे प्रभो, आप व्यवहार हमको वही दीजिये…
इस हृदय से तमस को मिटाकर हमें, हे प्रभो ज्ञान की रोशनी दीजिये…
तम धरा पर कहीं शेष हो ही नही, इस जहां में कहीं द्वेष हो ही नही।
प्रीत ही प्रीत फैले जहां में सकल, वैर का शेष अवशेष हो नही।।
दर्द दुख गम कहीं शेष हों ही नहीं, टीस हरकर सभी को खुशी दीजिये…
इस हृदय से तमस को मिटाकर हमें, हे प्रभो ज्ञान की रोशनी दीजिये…
अवगुणों को तजें सदगुगों को गहें, झूठ को झूठ हम सत्य को सच कहें।
लाख दुश्वारियाँ राह में हों मगर, कर्म पथ सदा ही अटल हम रहें।।
जो ज़रूरी नही आदमी के लिये, है गुजारिश हमें वो नही दीजिये…
इस हृदय से तमस को मिटाकर हमें, हे प्रभो ज्ञान की रोशनी दीजिये…
सतीश बंसल
०३.०१.२०१८