कविता

जोकर !

हंसता हूँ और हंसाता हूँ मैं
यूं अपने गम छुपाता हूँ मैं
तुम जिसे हुनर जानते हो
वो हकीकत बताता हूँ मैं
चाहे अरमां टूट चुके हो
फिर भी मुस्काता हूँ मैं
चंद रुपए की खातिर देखो
जान की बाजी लगाता हूँ मैं
मेरे रोने पे हंस दी दुनिया
जग को ऐसे हंसाता हूँ मैं
जोकर हूँ ! हां जोकर हूँ मैं
खुद को यही समझाता हूँ मैं ।

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |