क्षणिकाएँ…
1) अपनेपन की ऊँगली !!
बदल जाने के लिए
वक़्त होता है रिश्ते नहीं
रूठें तो मनाओ
मन की गिरह खोलो
अपनेपन की ऊँगली
पकड़कर पार कर लो
हर मुश्किल को !!
2) उम्मीद की हथेली !!
कुछ रिश्ते
होते हैं सच्चे
झूठ की गिरफ़्त से
कोसों दूर
जैसे यक़ीन के काँधे पर
टिकी हो कोई
उम्मीद की हथेली !!
3) कीमती जज़्बात !!
क़ीमती सिर्फ़
हीरा ही नहीं होता
जज़्बातों को भी
ये मिसाल हासिल है !!
4) हँसी के जेवर !!
उदासियों को कितने भी
ज़ेवर पहना दो हँसी के
उन्हें तो लिबास
ख़ामोशी का ही पसंद आता है !!
— सीमा सिंघल ‘सदा’