क्षणिका

क्षणिकाएँ…

1) अपनेपन की ऊँगली !!
बदल जाने के लिए
वक़्त होता है रिश्ते नहीं
रूठें तो मनाओ
मन की गिरह खोलो
अपनेपन की ऊँगली
पकड़कर पार कर लो
हर मुश्किल को !!
2) उम्मीद की हथेली !!
कुछ रिश्ते
होते हैं सच्चे
झूठ की गिरफ़्त से
कोसों दूर
जैसे यक़ीन के काँधे पर
टिकी हो कोई
उम्मीद की हथेली !!
3) कीमती जज़्बात !!
क़ीमती सिर्फ़
हीरा ही नहीं होता
जज़्बातों को भी
ये मिसाल हासिल है !!
4) हँसी के जेवर !!
उदासियों को कितने भी
ज़ेवर पहना दो हँसी के
उन्हें तो लिबास
ख़ामोशी का ही पसंद आता है !!
सीमा सिंघल ‘सदा’

सीमा सिंघल 'सदा'

जन्म स्थान :* रीवा (मध्यप्रदेश) *शिक्षा :* एम.ए. (राजनीति शास्त्र) *लेखन : *आकाशवाणी रीवा से प्रसारण तो कभी पत्र-पत्रिकाओ में प्रकाशित होते हुए मेरी कवितायेँ आप तक पहुँचती रहीं..सन 2009 से ब्लॉग जगत में ‘सदा’ के नाम से सक्रिय । *काव्य संग्रह : अर्पिता साझा काव्य संकलन, अनुगूंज, शब्दों के अरण्य में, हमारा शहर, बालार्क . *मेरी कलम : सन्नाटा बोलता है जब शब्द जन्म लेते हैं कुछ शब्द उतरते हैं उंगलियों का सहारा लेकर कागज़ की कश्ती में नन्हें कदमों से 'सदा' के लिए ... ब्लॉग : http://sadalikhna.blogspot.in/ ई-मेल : [email protected]