लघुकथा

लघुकथा – हिन्दू मुस्लिम

समाचार देख रही छोटी रिया ने अपने पापा से अचानक पूछा ‘पापा ये हिन्दू मुस्लिम कोन है जो हमेशा ही लड़ते रहते है क्या ये लोग बहुत गंदे होते है?’
रिया की बात सुन उसके पापा सकपका गये, नन्ही रिया के दिमाग में आई नकारात्मकता को भाँप गये और संभलकर बोले ‘नहीं रिया, ये अपने ही लोग हैं जैसे बताओ क्या आपकी मम्मी और दादी खराब हैं ये दोनों भी तो लड़ती रहती हैं?’
‘नही, मम्मी और दादी तो बहुत अच्छी है हां; कई बार लड़ने लगती हैं, लेकिन फिर एक हो जाती हैं; दोनों की रोज की कहानी है। कई बार बिना किसी बात पर लड़ जाती हैं और फिर एक दूसरे को मना भी लेती हैं लेकिन एक दूसरे के बिना रह भी नहीं पातीं।’ रिया एक सांस में ही बोल गई।
‘बस इसी तरह से हिन्दू मुस्लिम हैं और एक दिन देखना ये सब लड़ना बन्द कर देंगे।’ पापा ने रिया की तरफ मुस्कुराकर देखते हुए कहा।
‘फिर तो अच्छा हो जायेगा यदि ये सब  मम्मी व दादी की तरह रहें तो।’ रिया ने टीवी की तरफ देखते हुए कहा।
रिया के पापा भी थोड़ा संतुष्ट थे शायद उन्होंने रिया की हिन्दू मुस्लिम वाली नकारात्मकता को बढ़ने नहीं दिया। लेकिन वो खुद भगवान से दुआ कर रहे थे कि काश ऐसा हो और हिन्दू मुस्लिम लड़ें ना।

राजेश मेहरा

राजेश मेहरा

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