क्षणिका

प्रेरणा

प्रेरणा लेना चाहूं तो
प्रकृति का हर सृजन प्रस्तुत है,
मुझे प्रेरणा देने को.
लंबे-लंबे डग भरकर चलते हुए किसी लंबे व्यक्ति को
तेज़ी से चलते देखकर
प्रेरणा मिलती है लंबे डग भरकर चलने की,
किसी लंगड़ाते हुए व्यक्ति को
दौड़ते हुए देखकर
प्रेरणा मिलती है दौड़ते रहने की,
किसी मुरझाए हुए फूल को
पुनः खिलते हुए देखकर
प्रेरणा मिलती है पुनः-पुनः खिलते रहने की,
रेस में गिरकर हारते हुए व्यक्ति को
रेस जीतते हुए देखकर
प्रेरणा मिलती है कभी हार न मानते रहने की.
इसी प्रेरणा ने मुझे शक्ति दी है
किसी भी हाल में
हर परिस्थिति का सामना करते रहने की.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

4 thoughts on “प्रेरणा

  • राजकुमार कांदु

    आदरणीया बहनजी ! यह क्षणिका भी अति उत्तम लगी । प्रकृति अपने सभी रूपों में कुछ न कुछ प्रेरणा देते रहती है । जरूरत होती है तो उस प्रेरणा को देखने की क्षमता रखनेवाले नजरों की और उसे ग्रहण कर यथार्थ में उतारने की । गुरमैल भाईसाहब की आत्मकथा में भी प्रेरणा ग्रहण करने के कई ऐसे पल आये हैं । कई बार असफल होने के बाद भी मकड़ी आखिर अपनी इच्छित जगह पहुंच ही जाती है यह देखकर हौसला कायम रखने की प्रेरणा स्वतः ही मिलती है । अति सुंदर प्रेरणादायक रचना के लिए आपका धन्यवाद ।

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    lila bahan , kshanika prerna bahut achhi lagi .

  • लीला तिवानी

    तारीफ से प्रेरणा ने आगे विकलांग टेनिस खिलाड़ी को टीचिंग प्रफेशनल बनाया-
    रॉजर क्रैफोर्ड एक्ट्रोडैक्टिलिजम से पीड़ित थे। यह एक असामान्य जन्मजात डिसऑर्डर है। अमेरिका में पैदा होने वाले 90 हजार बच्चों में से एक को यह दोष रहता है। डॉक्टर ने बताया कि रॉजर कभी चल नहीं पाएगा। रॉजर जैसे-जैसे बड़े होते गए, उनकी विकलांगता पहचान में आने लगी। माता-पिता उनका उत्साह बढ़ाते हुए कहते, ‘बेटा तुम विकलांग सिर्फ वहां तक हो, जहां तक तुम खुद को विकलांग समझते हो। वरना दुनिया की कोई ताकत तुम्हें विकलांग नहीं बना सकती। तुम अत्यधिक बुद्धिमान हो और पूरी दुनिया पर विजय पाने की ताकत रखते हो।’
    आज वे ऐसे पहले विकलांग टेनिस खिलाड़ी हैं, जिन्हें यूनाइटेड स्टेट्स प्रफेशनल टेनिस असोसिएशन ने टीचिंग प्रफेशनल के रूप में प्रमाणित किया। वह कहते हैं, ‘चाहे आपकी हालत कैसी भी हो, आप विजेता बन सकते हैं।’

  • लीला तिवानी

    प्रेरणा और प्रोत्साहन का एक शब्द ही जादू कर देता है और साहस में पंख लगा देता है.

Comments are closed.