महत्व
बाग में महत्व इतना-सा माली खुश रहता है
शोभा तो भगवान के चरणों में जाकर बढ़ती है
झील नहीं मचा पाती हलचल अपने बलबूते पर
झंकार तभी होती ,जब नदी कल-कल चलती है
अपने वजूद पर गुरूर होना जरूरी है ,यहाँ पर
रस्सी का बल नहीं जाता,बेशक रात भर जलती है
विषम परिस्थितियों को कभी कमजोरी मत मानों
फूलों की पंखुड़ियाँ अक्सर कांटों में खूब खिलती है
निराश क्या होना एक छोटी सी हार से जीवन में
सुबह को सुर्योदय होता जब भी शाम ढलती है