चाहत
चाँदनी चमक लिए,चाहने की चाह लिए
दिल में चाहत भरा,क्यों लिये चल रहीं।
बाल तेरे काले काले,चाल तेरे हैं निराले
नयनों में दिखे मुझे,ख्वाबो में पल रहीं।
ओठ हैं गुलाबी रंग,बाल छूए गोर गाल
भरा मन चंचलता,भावना नम रहीं।
चेहरे के सभी अंग,आभा हैं संयोग ओज
छोड़ती प्रकाश पुंज,ऐसा क्यों कर रहीं॥1॥
बाल फहराये जैसे, बादल घिर आयें हैं
नयन नमित हुए,बरसने वाले हैं।
हर्ष परिपूर्ण मन,खुशियाँ छलकाए हैं
पंखुड़ियाँ गुलाब की,फहरने वाले हैं।
बहारों में फूल खिले, सितारे चमक गये
शान्तिः लिए मन कहे, चहकने वाले हैं।
अन्दाज़ दिखे अलग, नेत्र नव भाव आये
लगता मुझे है अब,बहकने वाले हैं॥2॥
© रमेश कुमार सिंह रुद्र