कविता
युग आते हैं युग जाते हैं
बस रह जाती हैं उसकी यादें
लोग आते हैं लोग जाते हैं
बस याद रह जाती हैं उनकी बातें
यही जीवन की दस्तूर है
इस दस्तूर को तू पहचान
कर्म कर तू कुछ ऐसा
कि तू इंसान बने महान्
कमाना ही है तो कमा ईंशानियत
पैसा रूपया तो बस एक झोल है
ईंशानियत ही बस एकअनमोल है
— मृदुल शरण