हॉ लिखती हूँ
हॉ लिखती हूँ
तुम्हारी यादें
तुम्हारा अहसास
तुम्हारी नफरते
तुम्हारा अपनापन
तुम्हारा प्यार
बस यही तो लिखती हूँ
नही चाहते हुये भी
उठाती हूँ कलम
तो तुमसे शुरू हो
तुम पर ही खत्म हो जाते है
सभी किस्से और कहानी
कोरे कागज पर ऊभर आते है
सिर्फ तुम्हारी निशानी
ठिक उसी तरह
जिस तरह तुम दूर होते हुये भी
मेरे जेहन से दूर नही हो पायें।
निवेदिता चतुर्वेदी