गज़ल
क्या बताऊँ कि कौन था वो सताने वाला
खून मेरा ही था वो मुझको जलाने वाला
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वक्त सबका जो मुकर्रर है तो डरना कैसा
एक दिन जाएगा इस दुनिया में आने वाला
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चलके दो-चार कदम लोग बिछड़ जाते हैं
कोई मिलता नहीं अब साथ निभाने वाला
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अब किसी से उम्मीद भी करूँ तो कैसे करूँ
ख्वाब जब तोड़ गया ख्वाब दिखाने वाला
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दिल की बातें नहीं लाते अब ज़ुबां पर हम
हमने भी सीख लिया ढंग ज़माने वाला
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शर्त आँखों ने अँधेरों से लगा ली यारो
चाहिए अश्कों से कोई दीप जलाने वाला
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आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।