पलकों में ही अश्रु संजोकर
पलकों में ही अश्रु संजोकर पीना सीख लिया ,
रोते – रोते हँसकर मैंने जीना सीख लिया,
तेरी खुशियों में प्रिय मैंने भूलकर अपनी खुशी ,
हर खुशियों में तेरे ही खुश होना सीख लिया |
बहुत मिले हैं फूल पथ पर बहुत चुभे हैं शूल ,
चलकर मैंने सम्हल – सम्हल करीना सीख लिया |
बात हमारी हम तक ही रहे यही है कामना ,
इसीलिये अधरों को मैंने सीना सीख लिया |
उमड़ी उर में प्रीत तभी बही भावना सरिता ,
डूब – डूब कर मैंने भी डुबोना सीख लिया |
जब – जब उमड़ी भावना लिखा मैंने गीत गज़ल,
यूँ ही चुन-चुन शब्द सुमन पिरोना सीख लिया |
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© किरण सिंह…..