मां का दिल था हर्षाया
दिन भर खेलता खूब मुरारी,
कभी न पढ़ता-लिखता था,
इधर-उधर घूमा करता वह,
काम न कोई करता था.
एक बार मां उसकी बोली,
”आज नहीं कुछ खाने को,
काम करो और पैसे लाओ,
तभी मिलेगा खाने को.”
”अच्छा मां, मैं काम करूंगा”,
कहकर चला गया बाहर,
खेतों में किसान को देखा,
उससे काम मांगा जाकर.
दिन भर काम किया खेतों में,
शाम को मिले उसे पैसे,
खेलता-खेलता घर को आया,
राह में गिर गए सब पैसे.
मां ने कहा, ”मुरारी तुम कल,
जो भी मिले, जेब में लाना,
फिर किसान के पास काम कर,
मिला दूध अब घर को जाना.
दूध जेब में डाल चला वह,
घर पहुंचा तो दूध कहां?
अगले दिन उसे बाल्टी देकर,
मां बोली, ”इसमें लाना.”
शाम हुई तो उस किसान ने,
मुर्गी दे दी उसको एक,
मुर्गी को तब रख बाल्टी में,
घर को चला वह बालक नेक.
बाल्टी खाली देख मां बोली,
”अब तो पैर बांधकर लाना.”
चला मुरारी यही सोचकर,
अब न पड़ेगा फिर पछताना.
शाम हुई तो उस किसान ने,
गाय का बछड़ा थमा दिया,
पैर बांधकर उस बछड़े के,
संभल-संभलकर चल दिया.
रास्ते में इक छोटी लड़की,
उसे देखकर खूब हंसी,
उसको हंसता देख खुशी से,
माता-पिता को मिली खुशी.
बुला मुरारी को वे बोले,
”तुमने अच्छा काम किया,
यह तो हंसती नहीं कभी भी,
तुमने इसको हंसा दिया”.
फल और पैसे दिए उन्होंने,
खुश हो वह घर को आया,
फल, पैसे और बछड़ा पाकर,
मां का दिल था हर्षाया.
lila bahan , maa ki baat manne se khushi to hoti hi hai .
मां की बात मानने से मां का दिल तो हर्षाता ही है, संतान को भी मां के आशीर्वाद से सकारात्मक परिणाम हासिल होता है.