सामाजिक

लेख – शांत रहें

यह जरुरी नहीं कि जीवन में हमेशा प्रिय क्षण ही आएं एवं दूसरे लोगों का अनुकूल व्यवहार ही हमें प्राप्त हो। अपमान, शोक, वियोग, हानि, असफलता आदि तमाम स्थितियां आती रहती हैं और जाती भी रहती है। दुनिया का कोई भी शरीर धारी जीव इन विविधताओं से बच नहीं पाता। जरा सी बात पर परेशान हो जाना, निराश हो जाना, रोना, उत्तेजित हो जाना, क्रोधांध स्थिति में आकर ना कहने योग्य को कह जाना और ना करने योग्य को कर जाना, यह सब मनुष्य की आंतरिक कमजोरी, दुर्बलता, जड़ता के लक्षण हैं। हमें अपने मानसिक बल को बढ़ाने की आवश्यकता है। कठिन से कठिन विकट स्थिति में विवेक पूर्वक और धैर्यपूर्वक निर्णय लेना है। उत्तेजना और क्रोध में कहा गया शब्द और किया गया कर्म स्थिति को और बिगाड़ देता है। इसलिए मौन और मुस्कुराहट को अपना आभूषण बनायें। संसार का चक्र ऐसे ही चलता रहेगा, मुस्कुराकर हर क्षण को स्वीकार करें।

भरत मल्होत्रा

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]