कविता

मुहब्बत के रंग

मेरे जीवन की अनकही जीवंत तस्वीर
रंगहीन, सफेद, उदासी की पोशाक ओढ़े

अपने अधूरेपन वैराग्य के भाव में लिप्त
थमी-थमी सी बिन मंजिल के अंतहीन
मृगतृष्णा से भ्रमित रास्ते पर चल रही थी

एक लौकिक दीये की लौ सी चमकती
तुम्हारे प्रेमसिक्त अनुभूति का आभास

मेरे सम्पूर्ण जीवन में उजियारा भर गया
मुहब्बत का वो गुलाबी लाल रंग
जो तुम्हारी नजरों ने मेरे मन पे दिया उछाल
दिल का कोना-कोना गहरा परावर्तित हुआ

सराबोर हुआ जीवन प्रेम-रंग में घुलकर
ऐ मेरे मुहब्बत सुनो वादा है तुमसे !!
जीवन के अंतिम क्षण तक
जबतक मेरी साँसे थम न जाए मेरे जिस्म में
महकेगी मेरी साँसे प्रेम के एहसास में।

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]