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सदाबहार काव्यालय-39

भाव गीत

 

संबंध सुहाना है

 

है प्रेम से जग प्यारा, सुंदर है सुहाना है

जिस ओर नज़र जाए, बस प्रेम-तराना है-

 

बादल का सागर से, सागर का धरती से

धरती का अंबर से, संबंध सुहाना है-

 

तारों का चंदा से, चंदा का सूरज से

सूरज का किरणों से, संबंध सुहाना है-

 

सखियों का राधा से, राधा का मोहन से

मोहन का मुरली से, संबंध सुहाना है-

 

पेड़ों का पत्तों से, पत्तों का फूलों से

फूलों का खुशबू से, संबंध सुहाना है-

 

 जन-जन में प्रेम झलके, हर मन में प्रेम छलके

मन का इस छलकन से, संबंध सुहाना है-

 

लीला तिवानी

Website : https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “सदाबहार काव्यालय-39

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन , गीत बहुत सुन्दर लगा .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको गीत बहुत सुंदर लगा. सब आपके प्रोत्साहन का सुपरिणाम है.

  • लीला तिवानी

    बसंत पंचमी हमारे देश का प्रेमोत्सव यानी वेलेंटाइन डे है. प्रेम के इस त्योहार पार आइए प्रेम का प्यारा-सा गीत गुनगुनाएं-
    है प्रेम से जग प्यारा, सुंदर है सुहाना है
    यह गीत 14 फरवरी 2005 वेलेंटाइन डे पर लिखा गया था. तब से यह बहुत लोकप्रिय है और अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुका है.

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