कुण्डली/छंद

“सरस्वती वंदना”

 

नमामि मात शारदे, नमामि मात शारदे।
विनाश काम क्रोध मोह लोभ मात मार दे।
सदैव सत्य लेखनी लिखे डरे न सार दे।
अनेक भाव शब्द और शुद्ध से विचार दे।

उपासना करूँ प्रभात से बनी उपासनी।
प्रकाश ज्ञान पुंज मात तो भरो प्रकाशनी।
विचार से विकार को मिटा सभी दुलार दे।
नमामि मात शारदे, नमामि मात शारदे।

अबाध वेग लेखनी चले विधान से भरो।
कृपा करो कृपा करो कि शारदे कृपा करो।
चलूँ सदैव धर्म राह पे अपार प्यार दे।
नमामि मात शारदे, नमामि मात शारदे।

विराजती सरोज सौम्यरूप हंसवाहिनी।
सदैव अर्चना करूँ कि ज्ञान की प्रदायिनी।
अनंत अंधकार है प्रकाश तू अपार दे।
नमामि मात शारदे, नमामि मात शारदे।

……….. *अनहद गुंजन अग्रवाल*

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*