“सरस्वती वंदना”
नमामि मात शारदे, नमामि मात शारदे।
विनाश काम क्रोध मोह लोभ मात मार दे।
सदैव सत्य लेखनी लिखे डरे न सार दे।
अनेक भाव शब्द और शुद्ध से विचार दे।
उपासना करूँ प्रभात से बनी उपासनी।
प्रकाश ज्ञान पुंज मात तो भरो प्रकाशनी।
विचार से विकार को मिटा सभी दुलार दे।
नमामि मात शारदे, नमामि मात शारदे।
अबाध वेग लेखनी चले विधान से भरो।
कृपा करो कृपा करो कि शारदे कृपा करो।
चलूँ सदैव धर्म राह पे अपार प्यार दे।
नमामि मात शारदे, नमामि मात शारदे।
विराजती सरोज सौम्यरूप हंसवाहिनी।
सदैव अर्चना करूँ कि ज्ञान की प्रदायिनी।
अनंत अंधकार है प्रकाश तू अपार दे।
नमामि मात शारदे, नमामि मात शारदे।
……….. *अनहद गुंजन अग्रवाल*