हे मां मुझे आशीष दो
हे ज्ञानदायिनी माता देती रहना आशीष सदा।
हे मां तेरे चरणों में ही झुकता रहे यह शीश सदा,
मैं छोड़ सकू सभी अवगुण दे दो मां ऐसी शक्ति,
ऐसा मुझको वर दे दो मां तेरा सदैव करूं मैं भक्ति।
हे मात दया कर अज्ञानी मैं मेरे झोली में यह वर रख दो,
मैं जब तुम्हारा ध्यान करु तू हाथ मेरे सर पर रख दो।
मेरी कलम मात वह शब्द लिखे जो राष्ट्रहित में अर्पित हो,
मेरा मां यह जीवन सदा मां भारती को समर्पित हो।
भारत के जनमानस को एकता का आह्वान लिखूं।
मेरे इस पावन जन्मभूमि का शान लिखूं।
देश के वीर जवानों की कुर्बानी का गान लिखूं।
वर दो माँ देश के गद्दारों के मौत का पैगाम लिखूं।
✍️ संजय सिंह राजपूत ✍️