जानते हैं सब
क्या है इस संसार में, जानते हैं सब।
एक ही मालिक है सबका, ईश्वर, कहो या रब
गर है भाई हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
फिर ये आपस में हैं करते क्यों प्रतिदिन जंग
क्या है इस संसार में, जानते हैं सब।।
भाई – भाई से करता, तकरार क्यो है ?
रिश्ते – नाते छोड़, धन से प्यार क्यो है
अपनी अंतरात्मा की, आग बुझाते क्यो है ? हे ! ईश्वर इनको तू देगा, सद्बुद्धि कबतलक क्या है इस संसार में, जानते हैं सब।।
धनुष – बाण, बुलेट, बहुत चले, अब प्यार की बारी है।
देखना है किस मज़हब की, किससे कितनी यारी है।।
प्रेम, गांव, समाज, देश, उन्नति की चहुंओर तैयारी है।
अब इतना बतला दो, दानवता छोड़ मनुष्य बनोगे कब।।
क्या है इस संसार में, जानते हैं सब।।
— संजय राजपूत