ढीट भालू
बोला भालू शेर से – “शेरू मेरे यार”।
काफी दिन हैं हो गये, चलो आज बाजार॥
चलो आज बाजार, घूम-फिर कर घर आयें,
पिक्चर-विक्चर देख, समोसे-लड्डू खायें।
सुना बिका कल खूब, बर्फ का मीठा गोला,
हम भी तो लें स्वाद, ठुमकता भालू बोला॥
सुनकर शेरू क्रोध में झपटा – “सुन रे ढीट”।
भालू के बच्चे तुझे, अब मैं दूँगा पीट॥
अब मैं दूँगा पीट, मुझे तू मूर्ख बनाता,
जब जाता बाजार, जेब मेरी कटवाता।
खाता तू तरमाल, चुकाता मैं चुन-चुनकर,
भागा सिर पर पैर रखे भालू यह सुनकर॥