कविता

वाह नेताजी

आ गये हैं पीले मेंढक, टर – टर का शोर हुआ,
सारे जीवों में आशा वर्षा का, चहुंओर हुआ।
अंबर में है काले बादल, वर्षा नहीं घनघोर हुआ,
हुई निराशा जग में, सबका मन गमगीन हुआ।।

ऐसे हैं मेरे देश के नेता, जब मेंढक सा टर्राते है,
देश की जनता समझ जाती, अब चुनाव आनेवाले हैं।
वादा करते विकास करूंगा, पर घोटाले करवाते हैं,
जनता को बेवकूफ बना, सेवक से शहंशाह बन जाते हैं।।

घोटाले, का तथ्य छुपाने में, पूरे साल लग जाते हैं,
नेताजी का दर्शन फिर, अगले चुनाव में कर पाते हैं।
देश की जनता सोच रही, कैसे ये नेता बन जाते हैं,
क्या यही है वे पीले मेंढक, जो फिर – फिरकर टर्राते हैं।।

।‌। संजय सिंह राजपूत ।।
8125313307, 8919231773

संजय सिंह राजपूत

ग्राम : दादर, थाना : सिकंदरपुर जिला : बलिया, उत्तर प्रदेश संपर्क: 8125313307, 8919231773 Email- [email protected]