।। जागो जागो भरत कुमारो ।।
जागो जागो भरत कुमारो,
कैसा दुर्दिन आया है,
देवों से पावन हुई धरा पर,
असुर साम्राज्या क्यों छाया है,
मर जाओ पर दश पातक मार।
यह स्वाभिमान जगाओ तुम।।
स्वाभिमान के सोये नर,
कब टूटेगी तेरी तंद्रा,
लुट जायेगा एक एक कर,
क्या बना रहेगा तू अंधा,
जो बचा उसे ही बचाओ तुम।
ना रहो यहाँ बैठे गुमशुम ।।
ये राधे कृष्ण की धरती है,
गीता का अर्णव मिला जहां,
युद्ध से विरत वीर को जिसमे,
नारायण ने ही प्रोत्साहन दिया,
रण विजय से यश विस्तारित है।
अन्यथा स्वर्ग में जाओगे तुम।।
।। प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045