ग़ज़ल / गीतिका
आओ खुश हो फहराएँ , आज तिरंगा मिल …..
राष्ट्रीय पर्व में हो जाएँ , हम सब शामिल …..
बलिदान शहीदों का , नाकाम न हो , साथियो …..
हम नमन शहीदों को कर लें , हो सब शामिल …..
पग धर न सके कोई , धरती पर शत्रु अब तो …..
आगे बढ़ आओ होने , जंग में सब शामिल …..
जो वार करेंगे , दुश्मन झेल न पाएँ लो …..
जाएँ मिल लें , लाशों में दुश्मन सब शामिल …..
धोखे देता आया अरि , अब तक तो …..
इसी भ्रम में हो जाएँ , हम सब शामिल …..
हम मार गिराएँगे , दस – दस शत्रुओं को सब …..
सीमा पर डटते जाएँ , हो हम सब शामिल …..
आतंक नहीं है सहना , पाक समझ ले तू …..
गाड़ेंगे तुझे धरती में , हो हम सब शामिल …..
नारे लगने लग जाएँगे ही , ज़िंदावादी …..
इंकलाब लाने , हो जाएँ हम सब शामिल …..
फहरे फिर ऊँचे – ऊँचे , ‘ रश्मि ‘ तिरंगा सुन …..
जन – गण – मण में हो जाएँगे , हम सब शामिल …..
— रवि रश्मि ‘अनुभूति’