अजन्मी बेटी का खत
मैं अजन्मी बेटी हूं तो क्या
सजीव तो हूं
समझती हूं सब कुछ
कभी कुछ कह पाती हूं
कभी चुप रह जाती हूं
आज मुझे कुछ बोलने दो
बेटों की चाह थी माता-पिता को
भारत में पैदा हुईं
2.1 करोड़ ‘अनचाही’ लड़कियां
इनमें सम्मिलित नहीं है
6.3 करोड़ ‘गायब’ बेटियों का आंकड़ा
गर्भ में बेटी होने के कारण
जिनकी हत्या हुई
आखिर ऐसा क्यों होता है?
शादी में अधिक दहेज देने के डर के कारण?
बेटी ने तो कभी दहेज नहीं मांगा न!
बदलो अपने रीति-रिवाजों को,
बहिन-बेटी के बलात्कार के डर से?
बदलो पुरुषों की कुत्सित मानसिकता को,
मैं समर्थ हूं
सक्षम हूं
हर काम कर सकती हूं
देश के कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों में
महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाओ
और फिर देखो मेरी जिम्मेदारी का जादू
मैंने जिस क्षेत्र में कदम रखा
वह लहलहा उठा है
तुम जानना चाहते हो
अजन्मी बेटी की ताकत!
मैंने अपनी मां को दी नई जिंदगी
एरिका है मेरी मां का नाम
मेरे जन्म से पहले
जब डॉक्टरों ने उनका चेक-अप किया
उनकी पल्स भी नहीं चल रही थी
हार्ट बंद हो चुका था
सीजेरियन के जरिए मेरा जन्म होते ही
जिंदा हो गई मेरी मां
समय पड़े तो बेटी अपना भी
बनती सबल सहारा है
वैर-भाव को दूर हटाकर
बरसाती रस-धारा है
बेटी भाग्य तुम्हारा है,
बेटी भाग्य तुम्हारा है,
बेटी भाग्य तुम्हारा है.
बेटों की चाह में भारत में पैदा हुईं 2.1 करोड़ ‘अनचाही’ लड़कियां. इन्हीं में से एक अजन्मी बेटी का अपनी मां को खत है, कि वह उसे किसी से कम न समझे. फिर बेटी है तो संसार में सृजन हो सकता है. आवश्यकता है भ्रूण हत्या और बलात्कार के दुर्गुणों को बंद करने की.