गिनतारा (अबेकस) बच्चों के मानसिक विकास का अद्भुत साधन
आज कल हर माता पिता के लिए यह चिंता का विषय है कि उनका बच्चा पढ़ाई लिखाई में अव्वल हो, और यह कोई नई बात भी नहीं है, सदियों से ऐसा होता आया है, लेकिन जहाँ पहले मां बाप बच्चे के 10 या 10+2 कि पढ़ाई के समय ही ऐसा सोचते थे पर अब यह एक ऐसा समय है कि बच्चे को उसकी प्राथमिक शिक्षा से ही कुछ ऐसा सिखाया जाये कि उसकी बुद्धि का अद्भुत विकास हो और गिनतारा इस क्षेत्र में रामबाण सिद्ध हुआ है,
आज प्रतियोगिता का ज़माना है और हर माँ बाप चाहता है कि नर्सरी से ही उसका बच्चा किसी अच्छे स्कूल में शिक्षा प्राप्त करे और कभी भी इस मुकाबले में पीछे न रहे.अब चाहे घर में दो या दिन बच्चे ही होते हैं पर फिर भी अपनी सामाजिक व्यस्तता के कारण वह अपने बच्चो को अधिक समय नहीं दे पाते हैं, इसीलिए शिक्षक और विद्यार्थी का अधिक से अधिक संपर्क आवश्यक हो गया है, स्कूल की PTA यानि माता पिता और शिक्षक मुलाक़ात में अक्सर यही शिकायत सुन ने को मिलती है कि बच्चा पढ़ाई लिखाई पर ध्यान नहीं देता , होमवर्क नहीं करता और इसका अच्छे नंबर लेकर पास होना मुश्किल है, स्कूल वाले जैसे यह कह कर अपना पल्ला झाड़ने कि कोशिश करते हैं, ऐसी शिकायत पर माँ बाप अधिक से अधिक यही करते है कि बच्चे की कहीं प्राइवेट ट्यूशन भी लगवा देते हैं, इससे ट्यूशन केंद्र तो फल फूल रहे हैं, होमवर्क भी हो जाता है या कहें कि करा दिया जाता है पर बच्चे का मानसिक विकास भी हो रहा है या उसका ज्ञान बढ़ रहा है, ऐसा ऐसा कदापि नहीं है , माँ बाप समझते हैं कि ऐसा करके वह अपना कर्तव्य निभा रहे हैं और बच्चे का पूरा ध्यान रख रहे हैं पर ऐसा वह केवल अपना दोष छिपाने के कारण ही कर रहे हैं, अब स्कूल से शिकायत भी नहीं मिलती और माँ बाप समझते है कि उन्होंने अपना सही फ़र्ज़ निभा दिया. पर वास्तविकता कुछ और ही है, हमें इस समस्या के मूल कारन को देखना होगा, ट्यूशन इसका सही हल नहीं है, वह तो केवल स्कूल का अधूरा काम ही पूरा कर रहे हैं जो स्कूल को करना चाहिए था, बच्चे के कम नंबर आने पर हम टी वी या अधिक खेलकूद को कारण मान कर बच्चो को इससे दूर रहने या कम करने को कहते हैं, अब बच्चा उस काम को करने के लिए समय निकालने के बहाने करता है जिस काम को करने के लिए उसे मना किया जाता है.
शिक्षा के साथ साथ मनोरंजन और खेल कूद भी ज़रूरी है और इसके लिए ज़रूरी है कि इन सभी ज़रूरतों का तालमेल बैठाया जाये,
आपका बच्चा अगर स्कूल बराबर जा रहा है, ट्यूशन भी पढ़ रहा है, घर पर भी पढ़ रहा है पर अभी भी परिणाम संतोषजनक नहीं हैं तो फिर यह सोचने का विषय है. यदि इस पर गंभीरता से ध्यान दिया जाये तो आप पायेंगें कि आप के बच्चे में कुछ कमी है, जैसे एकाग्रता, याददाश्त , अवलोकन और आत्म विश्वास , हीन भावना आदि,
मनुष्य का मस्तिष्क सीधे सीधे दो भागो में बटा हुआ है, बायाँ और दायाँ। और दोनों ही भाग अपना अलग अलग कार्य करते हैं,
बायाँ भाग तर्क, भाषा,गणित और विश्लेषण (logic, language, mathematics, analysis) क्रिया करता है और दायाँ भाग तस्वीर, परिकल्पना, ताल और परिमाण (picture, imagination, rhythm and dimensions) आदि का नियंत्रण करता है।
कुछ वर्ष पूर्व चीन के ज़्यूसॉन प्रान्त में यह शोध कार्य किया गया कि अबेकस द्वारा बच्चो में देखने सुनने की शक्ति की आत्मक्रिया से इनका बौद्धिक वकास हो सकता है, अबेकस से सुनने, एकाग्रता़, परिकल्पना, समझ, तस्वीर की याददाश्त को बल मिलता है और मानसिक तीव्रता से अंकगणित की गणना शीघ्रतम की जा सकती हैं। अबेकस शब्द का स्रोत ग्रीक शब्द ABAX को माना गया है, जिसका अर्थ है गणना पटल.
यह विश्वास किया जाता है यह लगभग 300 वर्ष ईसा पूर्व मेडिटररियन क्षेत्र में प्रयोग में था, चीन में यह लगभग संन 1200 ईस्वी से प्रचलित है, और अब तो पूरे विश्व में बच्चो के मानसिक विकास के लिए इस कार्यक्रम को पूरी मान्यता मिल चुकी है। सही जानकारी रखने वाले सजग माता पिता इस अद्भुत तकनीक को अपने 4 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों के मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए अपना रहे हैं, अब यहाँ भी अबेकस सीखने के कई प्रशिक्षण केंद्र खुल गए हैं, जहाँ बच्चो को अबेकस की शिक्षा दी जाती है, और इसे इस प्रकार संयोजित किया जाता कि इससे उनके दैनिक स्कूल कार्य में भी कोई बाधा नहीं पहुँचती। अबेकस सच में बच्चों के बौद्धिक और मानसिक विकास के लिए एक सफल अद्भुत तकनीक सिद्ध हुई है।
— भारत प्रकाश भाटिया
देहरादून