जीवन का मर्म
जीवन क्या है? इक सपना है
इस सपने की सच्चाई को
आओ हम-तुम मिलकर खोजें
जीवन अपना सुखी बनाएं
कहो जी क्या है? ये जीवन क्या है?
मृत्यु क्या है? इक सच्चाई है
इस सच्चाई में है सच कितना?
जीवन जिसको मिला है इक दिन
होगा निश्चय इक दिन मरना
कहो जी क्या है? ये मृत्यु क्या है?
हानि क्या है? इक ठोकर है
इस ठोकर से क्या हम सीखें?
ठोकर कहती विरुद्ध चलो मत
साथ प्रकृति के चलना सीखें
कहो जी क्या है? ये हानि क्या है?
लाभ क्या है जी? इक चेतावनी
इस चेतावनी का क्या मतलब?
लाभ न होता किस्मत से ही
श्रम की महिमा को जानो अब
कहो जी क्या है? ये फायदा क्या है?
यश क्या है जी? मीठा फल है
इस फल से ही सुख मिलता है
संघर्षों से जो नहीं डरता
उसी को जग में यश मिलता है
कहो जी क्या है? यश का मतलब क्या है?
अपयश क्या है? इक कठिनाई
यह कठिनाई क्यों होती है?
जब निर्बल मन हो जाता है
हर पल कठिनाई होती है
कहो जी क्या है? ये अपयश क्या है?
लीला बहन , इस कविता में अनमोल बचन बहुत अछे लगे .
सिर्फ आसमान छू लेना ही काफ़ी नहीं है….
असली कामयाबी तो, वो है कि, आसमां भी छू लो और पांव भी ज़मीन पर हों.