अभिनव उत्सव
उत्सवों का त्योहार अपने पूरे निखार पर था, हवाओं में, फ़िज़ाओं में, प्रेम-ही-प्रेम समाविष्ट था. नॉर्दर्न मिनेसोटा में रहने वाले एविएशन स्टूडेंट अभिनव-जिज्ञासा की प्रेमगाथा परिवार वालों को भलीभांति ज्ञात थी. उनका अनुमान था कि शीघ्र ही आने वाले वेलेंटाइन डे के दिन उन्हें उन के प्रणय-बंधन का शुभ समाचार मिल सकता है, लेकिन अभिनव के मन में कुछ और ही चल रहा था.
”पापा, आप तो अभिनव सुझावों के प्रणेता हैं, मुझे भी जिज्ञासा को प्रेम के इज़हार का कोई अभिनव उपाय सुझाइए न!’ अभिनव ने कहा था.
”बेटा, तुम्हारे बाकी मित्र तो आगामी वेलेंटाइन डे की प्रतीक्षा में ही होंगे, तुम भी उसी दिन कोई जुगत लगा लेना.”
”पापा, कोई अभिनव सुझाव की आकांक्षा है.”
”ठीक है, कल छुट्टी है, भयानक सर्दियों की वजह से क्रो विंग लेक पूरी तरह से जम गई है. सब बर्फ पर पिकनिक के लिए चलते हैं. बस तुम बर्फ पर लिखने वाला सामान साथ में रख लेना.”
अभिनव ने अगले दिन की प्रतीक्षा करते आंखों-आंखों में रात काट ली. सुबह होते ही पूरा परिवार पिकनिक पर गया. दूसरे दिन अभिनव ने एक प्लेन किराए पर लिया और अपनी गर्लफ्रेंड को एक छोटी सी हवाई ट्रिप पर ले जाने के लिए कहा. इसके बाद अभिनव की गर्लफ्रेंड जिज्ञासा इसके लिए राजी हो गई. अभिनव लेक के ऊपर ही प्लेन उड़ाता रहा. अचानक जिज्ञासा ने कहा- ”अभिनव, देखो-देखो नीचे लेक की बर्फ पर कितना सुंदर दृश्य है. किसी ने बर्फ पर लिखा है ‘मैरी मी’. पास ही एक दिल के बीच एक लड़के-लड़की का स्केच भी है.”
”फिर क्या इरादा है?” अभिनव ने शरारत से पूछा.
”ये तुमने लिखा है?” ‘जिज्ञासा की चमकती आंखों में सहज जिज्ञासा थी.
”ठीक समझीं, जल्दी जवाब दो.” झमककर अभिनव ने कहा.
”हां, कब?” जिज्ञासा की दूसरी जिज्ञासा थी.
”आज और अभी.” अभिनव ने हवा में ही उसको डायमंड रिंग पहनाई.
दोनों की खुशी का ठिकाना नहीं था. थोड़ी देर में जब अभिनव-जिज्ञासा घर आए तो उन के चेहरे की मुस्कान पूरे परिवार की मुस्कान बन गई थी. पापा ने कहा- ”बाप-रे-बाप, कुछ नया करने के चक्कर में हम सबको कितनी मशक्कत करनी पड़ी? करीब 25 फीट लंबे अक्षरों से ‘मैरी मी’ लिखने के लिए हमें चार घंटे खटना पड़ा.”
”ठीक है, पर आज के दिन हम सबका अभिनव उत्सव तो हो गया न!” यह जिज्ञासा के पापा की खुशनुमा आवाज़ थी, जो यह शुभ समाचार सुनकर सपरिवार पहुंच गए थे
लघु कथा अछि लगी,लीला बहन .
प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको रचना बहुत सुंदर लगी. हमेशा की तरह आपकी लाजवाब टिप्पणी ने इस ब्लॉग की गरिमा में चार चांद लगा दिये हैं. आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. प्रेम के इज़हार का यह ढंग लाजवाब है. अजीब दास्तां है यह, कहां….ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
यह किस्सा अमेरिका का है. दोनों के परिवार भी बच्चों के समान उत्सवधर्मी साथ ही बेहतरीन कल्पनाशीलता से सराबोर हैं. हमने विदेशों में तो अक्सर ऐसा देखा ही है, अपने देश में भी आज से 60 साल पहले का मीना-अर्जुन का किस्सा मुझे बखूबी याद है.