सपनों का संसार
तिनका-तिनका जोड़कर
घोंसला बनाया सपनों का
अंडों से जब बाहर निकले
हर चूज़े का पेट भरा
प्यार से फिर चिड़िया मां ने
चोंच से दाना चुग-चुगकर
पंख खिले जब पूरे उनके
उड़ने का साहस भरा
मानव जीवन का भी, साथी
यही सत्य, यही परंपरा
बस जाते हैं जहाँ, वहीं तो
होता रैन-बसेरा उनका
छोड़ के सारे बंधन, माया
नित नवीन हो आशियां
मानव मन इक पंछी भांति
ढूंढे हर पल खुला आसमां
पंख खोल उन्मुक्त गगन में
उड़ना चाहे पंख पसार
तिनका-तिनका जोड़कर
रचता सपनों का संसार
— विनीता चैल