कविता

सपनों का संसार

तिनका-तिनका जोड़कर
घोंसला बनाया सपनों का
अंडों से जब बाहर निकले
हर चूज़े का पेट भरा
प्यार से फिर चिड़िया मां ने
चोंच से दाना चुग-चुगकर
पंख खिले जब पूरे उनके
उड़ने का साहस भरा
मानव जीवन का भी, साथी
यही सत्य, यही परंपरा
बस जाते हैं जहाँ, वहीं तो
होता रैन-बसेरा उनका
छोड़ के सारे बंधन, माया
नित नवीन हो आशियां
मानव मन इक पंछी भांति
ढूंढे हर पल खुला आसमां
पंख खोल उन्मुक्त गगन में
उड़ना चाहे पंख पसार
तिनका-तिनका जोड़कर
रचता सपनों का संसार

विनीता चैल

विनीता चैल

द्वारा - आशीष स्टोर चौक बाजार काली मंदिर बुंडू ,रांची ,झारखंड शिक्षा - इतिहास में स्नातक साहित्यिक उपलब्धि - विश्व हिंदी साहित्यकार सम्मान एवं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित |