इंसानियत का अनोखा संबंध
कामिनी को कहां पता था, कि मौसी जी की तेरहवीं पर ऐसी अनहोनी हो जाएगी. अपने पति के साथ कामिनी काइनैटिक हौंडा पर बैठी बस मौसी जी के घर पहुंचने ही वाली थी. अचानक एक तिराहे पर एक गाड़ी ने रेड लाइट जंप करके उनको टक्कर मार दी. कामिनी और उसके पति एक ओर गिरे, स्कूटर दूसरे ओर. शुक्र है कोई और तेज़ गाड़ी आने से पहले ही तीनों को वहां से हटा लिया गया. एक हट्टे-कट्टे सज्जन ने पहले कामिनी को उठाकर एक किनारे एक महिला को संभला दिया. कामिनी होश में थी, इसलिए अधिक दिक्कत नहीं हुई. उसके पति तो मानो खून के तालाब में नहाए हुए थे. सज्जन व्यक्ति ने अपने सफेद कपड़ों की भी परवाह नहीं की और उन्हें गोदी में उठाकर किनारे कर दिया. दो युवकों ने स्कूटर को किनारे कर दिया. एक व्यक्ति ने 100 नं. पर फोन कर दिया था. तुरंत ही पुलिस की जीप भी आ गई थी. तभी एक कार से एक सज्जन उतरे और कामिनी से बोले- ”बहिनजी, आपको पता है कि आपको किसने टक्कर मारी?”
कामिनी ने कहा- ”कोई सफेद बड़ी-सी गाड़ी थी.”
”नहीं बहिनजी, शायद आपको चक्कर आ जाने के कारण ऐसा लगा होगा. मैं 3 किलोमीटर तक जाकर उसका पीछा करके उसका नम्बर नोट कर आया हूं, पकड़ नहीं पाया.” उसने एक कागज़ पर टैक्सी का नम्बर लिख दिया और पुलिस को भी बता दिया, फिर कामिनी से बोला-”मैं आपके साथ चलता, पर मैं अपनी पत्नि को खून चढ़वाने जा रहा था. भगवान आपका भला करे.” वह भी चल दिया और पुलिस की जीप भी साइरन बजाती पास के सरकारी अस्पताल को चल दी.
तीन घंटे बाद पति को होश आया, तब उन्होंने मौसी जी के घर अपने भाई को फोन किया. तब सभी लोग वहां दौड़े आए. कामिनी की भी खोज की गई. पता चला, कि उसके पैर की एक उंगली काटनी पड़ी थी. टैक्सी वाले का नम्बर मिल गया था, वह भी वहां पहुंच गया था और कामिनी और उसके पति से क्षमायाचना कर रहा था.
पति से मिलकर उनकी खैरियत जानने के बाद कामिनी सोचने लगी- ”क्या टेढ़े समय को सीधा बनाने वाले वे सब कौन थे? क्या उनके अपने थे? शायद यह इंसानियत का अनोखा संबंध था.
bahut achhi kahaani lila bahan .
प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको रचना बहुत सुंदर लगी. हमेशा की तरह आपकी लाजवाब टिप्पणी ने इस ब्लॉग की गरिमा में चार चांद लगा दिये हैं. आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. ऐसे ही इंसानियत के फरिश्तों के कारण ही तो यह धरती टिकी हुई है. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
यह इंसानियत का अनोखा संबंध ही तो था, जिसके कारण कामिनी के लिए पराए भी अपने बन गए और उसके टेढ़े समय को भी सीधा बना दिया था. उन सभी लोगों की यह आत्मीयता सराहनीय है.