शहीदों के नाम पर लगेंगे हर बरस मेले
विश्व मे शहीदों के याद में अगर कहीं मन्दिर है तो मैनपुरी जिले के बेवर में हैं। जहाँ 26 शहीदों की प्रस्तर प्रतिमा विराजमान ही नहीं, पूजे भी जाते हैं। यह शहीद-मेला 1972 से आरम्भ होकर वर्ष 2018 के अपने 46वें वर्ष को शहीद पंडित गेंदालाल दीक्षित जी के नेतृत्व में क्रांतिकारियों की संस्था “मातृवेदी” को समर्पित था।
जब लोग भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों और क्रांतिवीर शहीदों को भुलाकर फिल्मी अभिनेताओं एवं स्वार्थवश पदलोलुप नेताओं को ही अपना आदर्श मानकर तस्वीर लगाने में मशगूल हों तो ऐसे में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शहीदों के नाम पर विश्व में सबसे लम्बी अवधि तक चलनेवाले मेले “शहीद मेला” का आयोजन वाकई एक उत्प्रेरक अनुष्ठान के रूप में प्रशंसनीय एवं सराहनीय प्रयास है।
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिला स्थित एक छोटे से कस्बे बेवर में यह आयोजन 23 जनवरी से 10 फरबरी तक शहीदों के कुर्बानियों से देश की भावी पीढ़ी को अवगत कराने के उद्देश्य से हर साल मेले का आयोजन किये जाने की परंपरा विगत 46 वर्षों से चल रही है। इस मेले की शुरुआत स्व0 जगदीश नारायण त्रिपाठी द्वारा 1972 में कई गई थी। वर्तमान में मेला प्रबंधक का कार्यभार ई0 राज त्रिपाठी जी के कुशल नेतृत्त्व में उनके सहयोगियों द्वारा बखूबी चलाया जा रहा है। जिसमें गुमनाम क्रांतिवीरों द्वारा आजादी के निमित्त दी गई कुर्बानियों के साथ उनके इतिहास को भी खँगालने का काम बखूबी किया जाता है।
इस बार का आयोजन “मातृवेदी” के शताब्दी वर्ष के रूप में समर्पित था। अंग्रेजों के खिलाफ और भारत की आजादी के निमित्त 1817 में पं गेंदालाल लाल दीक्षित द्वारा निर्मित संस्था “मातृवेदी” के क्रिया-कलापों से बखूबी परिचित ही नहीं कराया गया बल्कि इस संस्था से जुड़े कई क्रांतिकारियों के इतिहास से भी आम लोगों के साथ भावी पीढ़ी को भी परिचित कराया गया।
ज्ञातव्य हो कि मातृवेदी संस्था में चंबल के डाकुओं का राष्ट्रहित में सहयोग लेकर पं0 गेंदालाल दीक्षित जी ने लगभग पन्द्रह हजार की संख्या में एक सेना भी अंग्रेजों के विरुद्ध तैयार की थी। इस संस्था के कार्यकलापों के उद्भेदन करने वाले फैजावाद के एक मुस्लिम सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखनेवाले भारतीय नौजवान शाह आलम ने चिलचिलाती धूप और बरसात में 2700 किलोमीटर की यात्रा सायकिल से करते हुए जो तथ्य उजगार किया वाकई साधुवाद के पात्र हैं। इन्हीं तथ्यों के ठोस साक्ष्य के आधार पर “मातृवेदी” के नाम से एक पुस्तक के प्रकाशन के साथ विमोचन भी किया गया।
19 दिनों तक लगातार सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ उपयोगी व्याख्यान माला, राष्ट्रीय कवि सम्मेलन, रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य चिकित्सा, एकांकी नाटक मंचन, नारी विमर्श, विधिक साक्षरता एवं मतदाता जागरूकता सम्मेलन आदि आयोजित कर आम लोगों को संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार से भी परिचित कराने के अलावा छोटे-छोटे बच्चों द्वारा नृत्य एवं गायन को भी प्रोत्साहित किया गया। साथ ही स्वतंत्रता सेनानी सम्मेलन आयोजित कर उपस्थित सेनानियों एवं उनके वंशजों को शाल एवं स्मृति चिन्ह से समानित भी किया गया।
जो वर्तमान पीढ़ी को क्रांतिकारियों से परिचित कराने के साथ राष्ट्रहित में उनके कर्तव्यों से भी अवगत कराने का पुनीत कार्य बखूबी सम्पादित करने की एक प्रथा विगत 46 वर्षों से चलाई जा रही है। जिसे एक सरहनीय और उत्प्रेरक कदम ही कहा जाएगा।
आयोजन के अंतिम कार्यक्रम के रूप में गुरुग्राम से पधारे श्याम स्नेही जी द्वारा निर्मित कैलेंडर के आधार पर “आपका “स्वास्थ्य आपके हाथ” के अंतर्गत साँसों द्वारा अद्भुत और अकल्पनीय जानकारी द्वारा लोगों को परिचित कराया गया। जिससे कोई भी व्यक्ति बगैर किसी औषधि के भी स्वयं को निरोग रखने में सक्षम हो सकता है। इस अंतिम कार्यक्रम का संचालन श्री अतुल राठौर जी ने किया।
इस मेले से सन्दर्भित एक फ़िल्म के शूटिंग की भी शुरुआत रफी भाई, मुंबई के निर्देशन में की गई।
समापन समारोह की अध्यक्षता काकोरी केस में संलिप्त श्री रामकृष्ण खत्री जी के सुपुत्र श्री उदय खत्री जी ने की। साथ ही चालीस से अधिक हिंदी एवं दक्षिण भारतीय फिल्मों के नायक श्री आदित्य ओम के अलावा वामपंथ के राष्ट्रीय प्रवक्ता आमिक जामेई जी एवं स्वतंत्रता संग्राम के वंशज श्री सुरेंद्र श्रीवास्तव जी की उपस्थिति में सम्पन्न हुई।
“शहीद-मेला” के आयोजन में स्थानीय पत्रकारों के साथ आजमगढ़ के भाई सुनील दत्ता “कबीर” श्री अजय भास्कर, श्री श्याम त्रिपाठी, श्री मनोज दुबे, उदय प्रताप शर्मा, एवं अन्य सहयोगियों का भी अमूल्य योगदान सरहनीय रहा।
इस प्रकार “शहीदों के नाम पर लगेंगे हर बरस मेले” को चरितार्थ करते हुए तथा शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पण करते हुए शहीद मेला का समापन 10 फरबरी को विधिवत सम्पन्न हुआ।
— स्नेही “श्याम”