साहस के पुतले
इस धरती की कठिन डगर पर, आगे बढ़ते जाएंगे
साहस के पुतले बनकर हम, जग को स्वर्ग बनाएंगे-
आज हमारी आजादी पर, पांव पड़े गद्दारों के
आज हमारी सीमा पर हैं, डेरे खूनी सायों के
नई पौध के नन्हे अंकुर, बन महान दिखलाएंगे
साहस के पुतले बनकर हम, जग को स्वर्ग बनाएंगे-
हममें से कोई राणा होगा, कोई वीर शिवा होगा
कोई होगा गांधी-गौतम, कोई कृष्ण दिवा होगा
नन्हे-नन्हे नौनिहाल हम, जग-दर्पण महकाएंगे
साहस के पुतले बनकर हम, जग को स्वर्ग बनाएंगे-
नई-नई खोजें करके हम, नया चमन महकाएंगे
कोई दुःखी रहे न यहां पर, ऐसा जगत बना सकते
छोटे हैं हम फिर भी जग में, काम बड़े कर जाएंगे
साहस के पुतले बनकर हम, जग को स्वर्ग बनाएंगे-
bahut achha,aunser
bahut achhi baal kavita lila bahan .
प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको रचना बहुत सुंदर लगी. हमेशा की तरह आपकी लाजवाब टिप्पणी ने इस ब्लॉग की गरिमा में चार चांद लगा दिये हैं. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
भारत प्यारा देश हमारा,
है सारे देशों से न्यारा,
विंध्य-हिमाचल रक्षा करते,
सींचे गंगा-यमुना धारा.
इसकी हर बेटी प्यारी है,
हर बेटा है इसका दुलारा,
एक ही माला के हम मोती,
यह है अपना भाग्य-सितारा.