कविता

खुद हर्षो, सबको हर्षाओ

हम आत्मिक प्रेम के दीवाने,
हम आत्मिक प्रेम के परवाने,
हम आत्मिक प्रेम पाना चाहें,
आत्मिक प्रेम ही हम देना जानें.
है आत्मिक प्रेम में चाह नहीं,
आत्मिक प्रेमी को परवाह नहीं,
वह निज मस्ती में चलता है,
भरता है कभी वह आह नहीं.
सुख में सब रहते राज़ी हैं,
वह दुःख में भी रहता राज़ी,
भावी की उसको फ़िक्र नहीं,
उसको न सताता है माज़ी.
भावी तो कल्पना कोरी है,
वह भूत को माने है सपना,
वह वर्तमान में रहता है,
यह पल ही तो केवल अपना.
इस पल में आत्मिक प्रेम करो,
इस पल में ही उसको पाओ,
मिल जाए आत्मिक प्रेम अगर,
खुद हर्षो, सबको हर्षाओ.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “खुद हर्षो, सबको हर्षाओ

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन , बहु अछि रचना है और इस वैलेंटाइन डे पर सब खुशीआं मनाएं और आगे की जिंदगी में भी पर्संता पूर्वक रहें .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको रचना बहुत सुंदर लगी. हमेशा की तरह आपकी लाजवाब टिप्पणी ने इस ब्लॉग की गरिमा में चार चांद लगा दिये हैं. आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. इस वेलेंटाइन डे पर सब खुशियां मनाएं और आगे की जिंदगी में भी प्रसन्नता पूर्वक रहें .ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    हैप्पी वेलेंटाइन डे का संदेश है- सब तरह के वैर भाव को छोड़कर निष्काम-निश्छल-आत्मिक प्रेम करना. इसी से हम खुद भी हर्षित, औरों को हर्षित होने का अवसर दे सकते हैं.

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