“होली आई”
आँचल में प्यार लेकर,
भीनी फुहार लेकर.
आई होली, आई होली,
आई होली रे!
चटक रही सेंमल की फलियाँ,
चलती मस्त बयारें।
मटक रही हैं मन की गलियाँ,
बजते ढोल नगारे।
निर्मल रसधार लेकर,
फूलों के हार लेकर,
आई होली, आई होली,
आई होली रे!
मीठे सुर में बोल रही है,
बागों में कोयलिया।
कानों में रस घोल रही है,
कान्हा की बाँसुरिया।
रंगों की धार लेकर,
सोलह सिंगार लेकर,
आई होली, आई होली,
आई होली रे!
लहराती खेतों में फसलें,
तन-मन है लहराया.
वासन्ती परिधान पहनकर,
खिलता फागुन आया,
महकी मनुहार लेकर,
गुझिया उपहार लेकर,
आई होली, आई होली,
आई होली रे!
—
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)