अस्तित्व का आभास
उसे कहां पता था, कि घर से 10वीं की परीक्षा देने जा रहा वह बस की चपेट में आ जाएगा, सिर की घातक चोट से रक्तरंजित हो जाएगा, राहगीर उसे देखकर भी अनदेखा करते चले जाएंगे, इंसानियत की देवी- एक अनजानी लड़की उसके सिर से बह रहे खून को रोकने के लिए अपना दुपट्टा उतारकर उसके सिर पर बांधेगी, इसके बावजूद खून नहीं रुका तो वह अपने दोनों हाथों से उसका सिर दबाकर बैठ जाएगी, अस्पताल भी उसे भर्ती करने से इंकार कर देंगे. इंसानियत की देवी को धन्यवाद देने के लिए भले ही वह इस दुनिया में नहीं है, लेकिन किसी की सहायता न करने की समाज की फलती-फूलती विष बेल के चलते भी इंसानियत ने अपने अस्तित्व का आभास करा दिया था.
सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले प्रांजल की मदद अजनबी लड़की ने की, अस्पतालों ने मुंह फेरा. उस अजनबी लड़की ने इंसानियत के अस्तित्व का आभास कराकर सिद्ध कर दिया, कि इंसानियत अभी जिंदा है.